
फारूक अब्दुल्ला ने 15 दिन पहले अजमेर में जताया था अंदेशा
अजमेर. फारूक अब्दुल्ला (farooq-abdullah) 23 जुलाई को अजमेर आए। दरगाह (ajmer dargah) में हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार जम्मू, कश्मीर (kashmir) और लद्दाख को अलग करना चाहती है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके सरकार नफरतें फैलाना चाहती है।
गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला ने उस वक्त ख्वाजा गरीब नवाज की बारगाह में तीन वक्त की नमाज अदा की और रोशनी की दुआ में भी शामिल हुए। उनके खादिम सैयद फखरे मोइन चिश्ती ने बताया कि फारूक अब्दुल्ला 23 जुलाई को सुबह 11 बजे अजमेर सर्किट हाउस पहुंचे थे। वे दोपहर 1 बजे और शाम 6 बजे दरगाह गए। दूसरे दिन 24 जुलाई को सुबह 5 बजे दरगाह पहुंचे और नमाज अदा की। अब्दुल्ला ने बताया कि उन्होंने दरगाह में दुआ की है कि पिछले 70 साल से चला आ रहा कश्मीर का मसला जल्द से जल्द हल हो और देश व प्रदेश में अमन व भाईचारा बना रहे।
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तब की थी मोदी की तारीफ
दरगाह में फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मध्यस्थता की बात कर अच्छी पहल की है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि 70 सालों से चला आ रहा कश्मीर का मसला हल हो। इसके लिए उन्होंने जो कदम उठाया है, उसका मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा न केवल भारत-पाकिस्तान बल्कि हिन्दू-मुसलमानों के रिश्ते भी खराब कर रहा है।
कश्मीर की तुलना अफगानिस्तान से
कश्मीर की तुलना अफगानिस्तान से करते हुए अब्दुल्ला बोले कि लोग कहेंगे कि वहां बंदूकें चलती हैं। लेकिन क्या अफगानिस्तान में बंदूकें नहीं चल रही, वहां बम नहीं फूटते, वहां लोग नहीं मर रहे? वहां भी तो रूस, अमरीका और चीन शांति बहाली की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह अमरीका अगर कश्मीर मसला हल करने में हमारी मदद करता है तो इसमें गलत क्या है।
Published on:
08 Aug 2019 02:15 am
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