
बदली सोच : राजस्थान के इस शहर में अब कुछ यूं अपनी सुरक्षा खुद करेंगी बेटियां
अजमेर. हमारी बेटियां अब खुद की सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहेंगी। बेटियां अब घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर उच्च शिक्षा के लिए अन्य शहरों में रहकर भी पढ़ाई कर रही हैं। शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं/ बेटियां खुद की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती थी मगर अब वे खुद आत्मरक्षा के गुर सीख रही हैं।
पिछले चार-पांच वर्षों में आए बदलाव के पीछे स्कूली शिक्षा के दौरान ही बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखना तो रहा ही है वहीं बालिकाएं अब खुद की सुरक्षा के लिए ना तो माता-पिता को परेशान देखना चाहती हैं ना अपने भाई या विद्यालय प्रबंधन पर। खासकर लड़कियां स्कूल/ कॉलेज में पढ़ाई के लिए आने जाने के दौरान कथित मनचलों की फब्तियों एवं छेड़छाड़ आदि परेशानियों का सामना करती हैं। कई बार बालिकाएं सहम जाती हैं, डर जाती हैंं। इन समस्याओं के बारे में कई बार घर पर भी शिकायत नहीं कर पाती हैं। ऐसे में इन मनचलों से निपटने के लिए बालिकाएं खुद प्रशिक्षण ले रही हैं। राज्य सरकार की ओर से भी बालिकाओं को स्कूल समय में ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह सिखाया जा रहा है बालिकाओं को फिट रहने के लिए सूर्य नमस्कार, योग के साथ जूड़ो एवं कराटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा। कुछ बालिकाओं को लाठी चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।अब तक करीब 10 हजार को प्रशिक्षण
अकेले शिक्षा विभाग की बात करें तो अजमेर जिले में करीब 10 हजार बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इन बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र दिया गया है। कुछ बालिकाएं तो आज भी छात्राओं को खुद प्रशिक्षण दे रही हैं।
विगत वर्ष 61 प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर 6100 बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया। इससे पूर्व भी करीब पांच हजार बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इस बार फिर लक्ष्य अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं के मन में जो डर था वह आत्मरक्षा शिविरों के बाद दूर हो गया है।
-रामनिवास गालव, एडीपीसी रमसा
Published on:
21 Aug 2018 03:26 pm
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