देश के सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग कराना अनिवार्य है। नैक टीम शैक्षिक, प्रशासनिक कार्य, शोध और अन्य गतिविधियों के मूल्यांकन के आधार पर संस्थाओं को ग्रेडिंग देती है।
पूर्व ग्रेडिंग की अवधि पांच वर्ष थी। यूजीसी ने संस्थाओं के फीडबैक और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सिफारिश पर इसकी अवधि सात वर्ष की है। सभी संस्थाओं को इसी वर्ष से सात साल की ग्रेडिंग देने की शुरुआत की गई है।
पांच साल में नहीं होते कार्य पूर्व में नैक ग्रेडिंग की अवधि पांच साल थी। देश के कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का कार्यकाल तीन या पांच साल है। इस अवधि में कुलपति उच्च शिक्षा में नवाचार और विकास योजनाओं को ज्यादा बढ़ावा नहीं दे पाते।
योजनाओं के अमली जामा पहनाने तक उनका कार्यकाल समाप्त हो जाता है। उधर नया पदभार ग्रहण करने वाले कुलपतियों को सबसे पहले नैक टीम का निरीक्षण कराना होता है। अधिकांश विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या लगातार घट रही है। ऐसी स्थिति में कई शिक्षाविद, कुलपतियों और विशेषज्ञों ने नैक की ग्रेडिंग सात साल करने का सुझाव दिया था।
अंकवार यूं मिलती है ग्रेडिंग 3.56 से 4.00-ए डबल प्लस 3.51 से 3.75-ए प्लस 3.01 से 3.50-ए 2.76 से 3.00-बी डबल प्लस 2.51 से 2.75-बी प्लस 2.01 से 2.50-बी
1.51 से 2.00-सी 1.50-डी यूजीसी ने ग्रेडिंग की अवधि पांच से बढ़ाकर सात साल की है। यह अच्छा कदम है। देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं को इसका लाभ मिलेगा। शैक्षिक और विकास कार्य की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रो. कैलाश सोडाणी, कुलपति मदस विश्वविद्यालय, अजमेर