अजमेर. राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में पदक विजेता बबीता फोगाट का मानना है कि खिलाडिय़ों को शुरूआती दौर में कोई मूलभूत सुविधाएं नहींदी जा रही है। बच्चा अपनी मेहनत से नेशनल में पहुंचता है। फिर किसी टूर्नामेन्ट में मैडल जीतता है। उसके बाद उस पर ध्यान दिया जाता है। वे क्वीन मैरी स्कूल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
बबीता ने कहा कि सरकार खिलाडिय़ों को सुविधाएं नहीं दे रही है। खेलों में मैडल जीतने के बाद भी बवाल खड़े होते है चाहे जूनियर हो या सीनियर। खिलाड़ी जब मैडल लाता है तो पूरी सब उसके पीछे पड़ जाती है। इसके पहले उसे कड़ा संघर्ष करके नेशनल या और आगे तक पहुंचना पड़ता है। खिलाडिय़ों में प्रतिभा तो बहुत है। लेकिन सुविधाओं का अभाव है। सरकारों को सुविधा ऐसी देनी चाहिए कि वे उनके बूते मैडल ला सके। उन्होंने कहा हालात यह है कि खिलाडिय़ों का मेडिकल इन्श्योरेंस भी नहीं है। कई बार इंजरी में खिलाड़ी का काफी खर्च हो जाता है। उसके करियर पर भी विपरीत असर पड़ता है। कई खिलाडिय़ों का तो करियर भी समाप्त हो जाता है।
खेल मंत्री ठीक लेकिन सिस्टम खराब उन्होंने कहा कि वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह खिलाड़ी ने होने के नाते कई निर्णय अच्छे किए है। लेकिन जमीनी स्तर पर खिलाडिय़ों को इसके चलते हालात नहीं सुधरे है। वहीं खेल संघों में भी खिलाडिय़ों की संख्या कम है। बीते दिनों हरियाणा में एक पार्टी के लिए प्रचार करने के संबंध में बबीता ने कहा कि किसी निजी स्तर पर समर्थन करना अलग बात है। इसे राजनीति नहीं कह सकते। बॉलीवुड से मिल रही है पहचान खिलाडिय़ों के जीवन पर लगातार बन रही फिल्मों के बारे में पूछे जाने के जवाब में बबीता ने कहा कि आजकल बॉलीवुड से खिलाडिय़ों को पहचान मिल रही है। उन्होंने पदक पाने तक का उनका सफर कैसा रहा। उन्हें क्या-क्या झेलना पड़ा यह कहानियां लोगों तक पहुंच रही है। इससे लोगों में खेलों के प्रति जागरूकता तो आ ही रही है। खिलाडिय़ों को भी पहचान मिल रही है। जैसे के मैरीकॉम को उन पर बनी फिल्म से काफी पहचान मिली। दंगल के बाद हमें भी ज्यादा जाना जाने लगा। कुश्ती और बॉक्सिंग के प्रति भी लोगों की गंभीरता बढ़ी। इससे पहले स्कूल के निदेशक सूबेसिंह चौधरी ने बबीता फोगाट का स्वागत किया।