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खाली है इस सरकारी कॉलेज का खजाना, सैलेरी देने लिए भी नहीं पैसा

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financial crisis in college

financial crisis in college

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज के हालात खराब हैं। डांवाडोल आर्थिक स्थिति के चलते कॉलेज परेशान है। बगैर संसाधन स्टाफ को दिसंबर में पगार देना आसान नहीं है। उधर सरकार कॉलेज को अपने नियंत्रण में लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में दिनों-दिन परेशानियां बढ़ रही हैं।

वर्ष 1997-98 में खुले बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल, कंप्यूटर-आईटी, एमबीए सहित कई ब्रांच संचालित हैं। यहां करीब 70 से ज्यादा शिक्षक, 40 से ज्यादा मंत्रालयिक स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं। कॉलेज को शुरुआत में सरकार से करीब 50 लाख रुपए अनुदान मिलता था। लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया। वक्त के साथ कॉलेज में स्टाफ बढ़ता चला गया लेकिन आय नहीं बढ़ पाई।

करना पड़ता है पगार का जुगाड़
कॉलेज को प्रतिमाह पगार के लिए जुगाड़ करना पड़ता है। प्राचार्य प्रो. रंजन माहेश्वरी के प्रयासों से सरकार से अनुदान मिलना तो शुरू हुआ है। लेकिन स्टाफ को सातवें वेतनमान के अनुसार वेतनमान देना कॉलेज के लिए आसान नहीं है। कॉलेज को प्रतिमाह एफ.डी और अन्य स्त्रोतों से वेतनमान चुकाने पड़ रहे हैं।

सरकारी नियंत्रण में नहीं

बीते साल सरकार ने महिला इंजीनियरिंग सहित बारांऔर झालवाड़ कॉलेज को अपने नियंत्रण में लेने का फैसला किया था। इसमें राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज को शामिल नहीं किया गया। कॉलेज अब तक स्वायत्तशासी संस्था के अधीन संचालित हैं। हालांकि कॉलेज प्रशासन ने तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी सहित कई जन प्रतिनिधियों से संपर्क किया। इसके बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है। मालूम हो कि सरकारी नियंत्रण में लेने के बाद कॉलेज को वेतनमान-भत्तों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

मांगी थी महिला कॉलेज से राशि
बॉयज कालेज ने पिछले साल महिला इंजीनियरिंग कॉलेज से करीब 5 करोड़ रुपए मांगा था। यह पैसा वेतनमान-भत्तों और अन्य मद के लिए लिया जाना था। लेकिन तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अजयसिंह जेठू ने पैसे देने साफ इंकार कर दिया था। साथ ही तकनीकी शिक्षा विभाग और मंत्रालय भी पत्र भी भेजा था।

कॉलेज ने यह दिए सरकार को प्रस्ताव

-इंजीनियरिंग संकाय में फीस बढ़ाने की अनुमति
-कॉलेज को सरकारी नियंत्रण में लिया जाए

-अनुदानित संस्थाओं के तरह मिले वेतनमान-भत्तों के लिए अनुदान
-सरकार ले नॉन प्लान पदों की जिम्मेदारी