
पुरानी पुस्तकें रद्दी होने से बचाने को निकाली साढ़े 8 लाख पूरक पुस्तकें
चन्द्रप्रकाश जोशी.
अजमेर. राज्य सरकार की ओर से कक्षा नवमीं एवं दसवीं की गणित के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। लेकिन पुस्तकों का प्रकाशन पूर्व में होने के कारण अब संबंधित चैप्टर (अध्याय) के लिए पूरक पुस्तकों का प्रकाशन कर दिया गया। इस पूरक पुस्तक में एक मात्र चैप्टर है। प्रदेशभर में कक्षा नवमीं एवं दसवीं की गणित के 16 से 18 पृष्ठ की करीब साढ़े 8 लाख पूरक पुस्तकों का प्रकाशन किया है ताकि पुरानी पुस्तकें रद्दी नहीं हो पाए।
राज्य सरकार की ओर से राजस्थान राज्य पुस्तक मंडल जयपुर की ओर से नवीं एवं दसवीं की गणित विषय के लिए पूरक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। इन संशोधित सामग्री (पूरक पुस्तक) में सिर्फ एक अतिरिक्त पाठ जोड़ा गया है। इसमें विद्यार्थियों को वैदिक गणित पढ़ाने के लिए वैदिक सूत्र उपलब्ध करवाए गए हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद इतिहास के पाठ्यक्रम में तो फेरबदल किए जाते रहे हैं मगर गणित विषय भी फेरबदल से अछूता नहीं रहा है। संबंधित मुद्रक की ओर से दसवीं की संशोधित सामग्री की 4 लाख 18 हजार पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है वहीं नवीं की 4 लाख 66 हजार 600 पूरक पुस्तकों का प्रकाशन करवाया गया है। शृंगेरीमठ के शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्णतीर्थ वैदिक गणित के प्रणेता माने गए हैं। उनके वैदिक सूत्रों को पूरक पुस्तक में समाहित किया गया है।
सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क वितरण
प्रदेशभर में सरकारी स्कूलों में ये पुस्तकें नि:शुल्क वितरित की जानी है। पहले चरण वाले कुछ स्कूलों में वितरित कर दी गई हैं, जबकि दूसरे चरण वाले स्कूलों में इनका अब वितरण होगा।
रद्दी बनने से बचाने का प्रयास
पाठ्यपुस्तक मंडल के अधिकारियों के मुताबिक सरकार बदलने के बाद पाठ्यक्रम में बदलाव से नवीं एवं दसवीं की पुरानी पुस्तकों को बचाने के लिए संशोधित सामग्री (पूरक पुस्तकें) प्रकाशित की गई हैं ताकि पुरानी पुस्तकें रद्दी नहीं हों। इस वर्ष वे पुरानी पुस्तकें भी साथ ही चल सकेंगी। नई पुस्तकों में इस पूरक सामग्री को जोडऩे का प्रावधान है।
Published on:
05 Jul 2019 03:51 pm
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
