ऐसे परिवारों के बीच आज भी बिजयनगर,सवाईमाधोपुर व बूंदी के अमरूदों की महक बरकरार है। कई परिवार तो छह-सात दशक से इन राज्यों में विभिन्न कारोबार कर रहे हैं। इनका भले ही अपने पैतृक इलाके में आना-जाना कम रहता है, लेकिन पसंदीदा जगह से अमरूद जरूर मंगवा लेते हैं। ऐसे प्रवासी राजस्थानी अपनी पैतृक माटी की खुशबू को भूला नहीं पाए हैं।
तुड़वाई के लिए श्रमिक जुटे मौसम में थोड़ी ठंडक आते ही पेड़ों पर अमरूद लकदक हो जाते हैं। दिनभर इनकी तुड़वाई के लिए श्रमिक जुटे हुए हैं। कई लोग यहां से अमरूद खरीद कर जयपुर, अजमेर, राजसमंद, ब्यावर, जोधपुर, किशनगढ़, भीलवाड़ा, नई दिल्ली, चंडीगढ़,अहमदाबाद, सूरत सहित कई शहरों की मंडियों में भिजवा रहे हैं। वैसे अधिकतर अमरूदों की राजस्थान में ही खपत हो जाती है।
जानकारों की मानें तो सर्दी की शुरुआत में ही अमरूद की फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। जो बाद बिक्री के लिए बाजार में लाए जाते हैं। बिजयनगर के अमरूद थोक में कम बल्कि खुदरा अधिक बिकते हैं। सवाईमाधोपुर जिले में अमरूदों के कई बगीचे हैं। इस क्षेत्र के कई खेत अच्छी गुणवत्ता के अमरूद उगल रहे है। खुदरा विक्रेता माधोपुर के अमरूद ले लो…गुलाबजामुन जैसे अमरूद….जैसी आवाज लगाकर इनकी बिक्री कर रहे हैं। बूंदी के अमरूद भी लोगों की खास पसंद बने हुए हैं।
शीत ऋतु में इन जिलों में अमरूद की काफी अच्छी पैदावार होती है। अमरूद की बिक्री के लिए नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी माह का सीजन होता है। मंडियों में हजारों कर्टन बिक्री के लिए पहुंच रहे हैं। इसके अलावा सडक़ किनारे हजारों ठेलों पर अमरूद की खुदरा बिक्री अलग होती है।
सैंकड़ों क्विंटल की रोज तुड़वाई बिजयनगर, सवाईमाधोपुर व बूंदी जिले के खेतों में रोजाना सैंकड़ों क्विंटलअमरूद तुड़वाए जा रहे हैं। किसान अमरचंद के अनुसार कई दलाल थोक में अमरूद खरीद कर ट्रकों के जरिए मंडियों में ले जा रहे हैं। इससे परिवहन खर्चा बच जाता है। साथ में दाम भी अच्छा मिल रहा है। अमरूद को परिवहन में खासी सावधानी होती है, ताकि यह खराब न होने पाए।
अमरूद की किस्म सुपाच्य अमरूद खाना पचाने व कब्ज दूर करने में काफी सहायक माने जाते हैं। ऊपर का आवरण हल्का हरा,पीला तथा भीतर से गुलाबी व सफेद रंग होता है। अमरूद की मिठास और स्वाद लोगों को खासे पसंद हैं। अधिकतर लोग इसे फल के रूप में खाते हैं तो कुछ लोग सब्जी के रूप में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग इसे सर्दी का मेवा भी कहते हैं।