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#Happy Diwali : दीपोत्सव की रोशनी से जगमगाया अजमेर, रंगबिरंगा हुआ आसमान

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diwali celebration

diwali celebration

अजमेर.

दिवाली पर घर-आंगन दीपोत्सव की रोशनी से जगमगा उठे। शहरवासियों ने उल्लास के साथ बुधवार को मंत्रोच्चार के बीच महालक्ष्मी का पूजन किया। सुबह से देर शाम तक दिवाली की शुभकामनाओं का दौर चला। सोशल मीडिया पर भी दिवाली की बधाइयों के मैसेज, वीडियो चलते रहे। गुरुवार को को घरों और मंदिरों के बाहर महिलाएं गोवद्र्धन पूजा करेंगी।

बुधवार को शहरवासियों ने विधि-विधान से धन और ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी का पूजन किया। महिलाओं ने घरों में मांडणे, अल्पना और रंगोली सजाई। मिठाई और अन्य पकवान बनाए गए। गन्ना, लक्ष्मी पाना, खील-फूले, बताशे, कमल के फूल, सीताफल और अन्य सामग्री के साथ घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों में महालक्ष्मी, गणेश और विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की गई।

लोगों ने फुलझड़ी, अनार और अन्य पटाखे चलाए। मिट्टी की दीपक और रंगबिरंगी रोशनी से समूचा शहर जगमगाता नजर आया। गांधी भवन, कलक्ट्रेट, रेलवे स्टेशन सहित विभिन्न सरकारी विभागों, आनासागर पर निर्माणाधीन चौपाटी और पुष्कर रोड चौपाटी पर भी सतरंगी लाइटें लगाई गई।

बाजारों में सजावट

नया बाजार, केसरगंज, मदार गेट सहित बजरंगगढ़ सर्किल और अन्य स्थानों पर रंग-बिरंगी लाइटें लगाई गई। कई दुकानदारों ने व्यक्तिगत स्तर पर सजावट की। लक्ष्मी पूजन के बाद शहरवासी रोशनी देखने के लिए बाजारों में निकले। बजरंगगढ़ चौराहा, आनासागर चौपाटी पर खड़े होकर लोगों ने सेल्फी लेने के साथ-साथ वीडियो बनाए। दिवाली पर बाजारों में देर शाम तक रौनक रही। लोगों ने मिठाइयां, वाहन, इलेक्ट्रिॉनिक आइटम, रेडिमेड कपड़े, साडिय़ां, क्रॉकरी और अन्य सामान खरीदे।


गोवद्र्धन पूजन 8 को

दीपोत्सव के तहत गुरुवार को पारम्परिक गोवद्र्धन पूजन होगा। घरों और मंदिरों के बाहर महिलाएं गोबर से गोवद्र्धन पर्वत बनाकर और कथा सुनकर पूजा करेंगी। शहर में कई मंदिरों और घरों में अन्नकूट भी बनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के गोवद्र्धन पर्वत को अंगुली पर उठाने और लोगों की रक्षा करने के रूप में इसकी पूजा होती है।

भैया दूज 9 को
पांच दिवसीय दिवाली पर्व पर शुक्रवार को भैया दूज मनाई जाएगी। बहनें अपने भाईयों को तिलक कर कलाई पर मोली बांधेंगी। इस दौरान भाई श्रद्धानुसार बहनों को उपहार देंगे। मालूम हो कि दिवाली और होली के बाद भैया दूज मनाई जाती है। बहनें अपनी भाई की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए तिलक कर मोली बांधती हैं।