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अजमेर के हरिभाऊ उपाध्याय ने किया था बापू के अखबार का संपादन

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दिलीप शर्मा/अजमेर।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती को 1952 तक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता था। अजमेर के टीटी कॉलेज भवन जो कभी अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट की विधानसभा होती थी इस भवन पर तथा समस्त सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराया जाता था। प्रभात फेरी निकाली जाती थी। 2 अक्टूबर 1952 को भागचंद की कोठी में राजपुताना क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्यों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसी दिन गांधी भवन में चरखा यज्ञ हुआ।

अजमेर से जुड़ाव था बापू का
गांधीजी का जुड़ाव अजमेर के राजनेताओं से था। गांधी का अजमेर में भी आना हुआ था। यहां से अहमदाबाद जाते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तब उनके साप्ताहिक समाचार पत्र हिन्दी नवजीवन का संपादन अजमेर के कांग्रेस नेता हरिभाऊ उपाध्याय ने किया। तब उपाध्याय अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट के मुख्यमंत्री थे। उनके साथ ब्रजमोहनलाल शर्मा व ज्वाला प्रसाद शर्मा भी मंत्री के रूप में रहे।

गांधीजी के जेल में होने के कारण 2 अक्टूबर 1922 को गांधी जयंती के मौके पर उनके समाचार पत्र नवजीवन जिसका संपादन रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई द्विजेन्द्रनाथ टैगोर ने किया। सामान्यत: यह समचार पत्र प्रत्येक रविवार को छपता था लेकिन बापू की जयंती के कारण यह सोमवार को प्रकाशित किया गया। इसके मुद्रक व प्रकाशक गांधीजी के पुत्र रामदास मोहनदास गांधी थे। इसी अंक में गांधी के सहयोगी जमनालाल बजाज व दत्तात्रेय कालेकर के लेख भी प्रकाशित हुए।

बा कायल थीं अजमेर की कौमी एकता की
दो अक्टूबर 1922 को ही कस्तूरबा गांधी व बजाज बापू से मिलने जेल पहुंचे। वे गांधीजी से मुलाकात कर अजमेर आए। यहां ईदगाह में जिला परिषद का तीन दिवसीय अधिवेशन था, जिसकी अध्यक्षता कस्तूरबा गांधी ने की। यहां उन्होंने साम्प्रदायिक सौहार्द की सराहना की। इस दौरान यहां राजपुताना मध्य भारत प्रांतीय परिषद का कौमी एकता सम्मेलन भी हुआ। यह जानकारियां भी 15 अक्टूबर 1922 के नवजीवन समाचार पत्र में प्रकाशित हुई।

एक वर्ष के नवजीवन के अंक संजोए

नवजीवन के एक वर्ष के अंक 1922 से 1923 के 52 अंक अजमेर के भारतीय जीवन बीमा निगम से सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी बी. एल. सामरा के पास आज भी सुरक्षित संग्रहित हैं। सामरा पिछले 50 वर्षों से ऐसी ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रह कर रहे हैं। बापू को अवज्ञा आंदोलन मे गिरफ्तारी, 10 दिन में मुकदमे की सुनवाई, अंग्रेज जज ब्रूम फील्ड का उन्हें कोर्ट में खड़े होकर सैल्युट करना आदि के लेख इनमें प्रकाशित हैं।

अजमेर के एक सिंधी व्यापारी का पासपोर्ट भी जारी हुआ
सामरा के पास एक पासपोर्ट सुरक्षित है जो अजमेर के एक व्यापारी परसराम डड्डोमल का ब्रिटिश इंडियन एंपायर से एक पासपोर्ट भी जारी हुआ। यह पासपोर्ट 2 अक्टूबर 1935 को कराची से जारी किया है