20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बोले कवि हरिओम पंवार- देश की नई पीढ़ी को कार चाहिए संस्कार नहीं

ओजस्वी कवि हरिओम पंवार आए अजमेर। देश के युवाओं की हिंदी की बजाय अंग्रेजी में लगातार बढ़ती रुचि और घटते संस्कार को बताया चिंताजनक।

2 min read
Google source verification
poet hariom pawar in ajmer

poet hariom pawar in ajmer

ये अपनी वीर रस की कविताओं से श्रोताओं के अंतर्मन में देश प्रेम की तरंगें पैदा करने का जज्बा रखते हैं। चाहे कश्मीर में पत्थरबाजी, भारतीय सैनिकों के सिर काटने की पाकिस्तानी करतूत हो या दंगे-फसाद... इनकी कलम ओजस्वी धारा बन जाती है। आधुनिक भारत में कहीं न कहीं संस्कारों की कमी को यह बखूबी महसूस करते हुए चिंतित भी दिखते हैं।

हम बात कर रहे हैं वीर रस के कवि हरिओम पंवार की। रविवार को पत्रिका से खास बातचीत में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों तक भाषा एवं साहित्य पहुंचाने के सवाल पर पंवार बोले कि नई पीढ़ी में हिंदी के प्रति कोई रुचि नहीं दिखती।

उन्हें हिंदी की बजाय अंग्रेजी के शेक्सपीयर, कीट्स, वड्सवर्थ पढऩे में ज्यादा रुचि है। यही भारतीय संस्कृति, भाषा व मूल्यों के अवमूल्यन का कारण है। नई पीढ़ी को कार्य और कार की तलाश तो है, लेकिन संस्कार की नहीं है। ग्लोबलाइजेशन के दौर ने मोबाइल फोन, लेपटॉप, इंटरनेट और सेवन स्टार होटल जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा दीं। हम आदमी के लिए विकास कर रहे हैं, आदमी का नहीं।

नैतिक मूल्यों में गिरावट घातक पंवार ने चिंता जताते हुए कहा कि नैतिक मूल्यों में गिरावट देश और समाज के लिए घातक है। कभी गरीब आदमी को भी नैतिक मूल्यों के चलते सम्मानित समझा जाता था। अब आर्थिक मूल्यों, पद-प्रतिष्ठा से व्यक्ति का सम्मान होता है। कई बार फीते भी उनसे कटवाए जाते हैं, जिनके इर्द-गिर्द प्रतिष्ठा और धन-बल घूमता है।

नई पीढ़ी में प्रतिभा की नहीं कमी

पंवार ने काव्य और साहित्य में नई पीढ़ी के लेखन से जुड़े सवाल पर कहा कि युवा पीढ़ी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। उनमें अच्छा लेखन, पठन और प्रस्तुतिकरण की क्षमता है। श्रोता भी नया सुनने की चाह रखते हैं। यह साहित्य के लिए अच्छा संकेत है, लेकिन नैतिक संस्कार, अनुशासन और भाषा का खयाल रखना बहुत आवश्यक है।

नोटबंदी पर लिखा तीन साल पहले

पंवार ने कहा कि वे नोटबंदी पर कविता तीन साल पहले लिख चुके हैं। बाबा रामदेव के कालेधन के खिलाफ अभियान छेडऩे के दौरान उन्होंने यह कविता लिखी थी। इसी तरह उड़ी में 17 सैनिकों के सिर काटने पर उन्होंने सरकार पर व्यंग्यात्मक कविता लिखी।

ये भी पढ़ें

image