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पुराने व खराब चने पर चढ़ा रहे थे हानिकारक रंग

locationअजमेरPublished: Jun 12, 2019 02:34:39 am

Submitted by:

Narendra

मिलावटखोरी पर कार्रवाई : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चार क्विंटल रंग चढ़ा चना किया जब्त, जांच के लिए भिजवाए 4 नमूने

harmful colour was used on old and poor gram

पुराने व खराब चने पर चढ़ा रहे थे हानिकारक रंग

केकड़ी (अजमेर).

पुराने व खराब चने पर हानिकारक कलर चढ़ाकर बिक्री करने की सूचना पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए एक व्यापारी से 4 क्विंटल चना जब्त किया। टीम ने जांच के लिए 4 नमूने लिए है। विभाग की कार्रवाई से मिलावटखोर व्यापारियों में हडकंप मच गया।
ग्यारसी कॉलोनी जयपुर रोड निवासी रामसुख प्रजापति मंडी परिसर के पिछले हिस्से में 5 मजदूरों की सहायता से पुराने व खराब चने पर हानिकारक रंग चढ़वा रहा था। वहां से गुजर रहे जागरूक लोगों ने इसकी सूचना मण्डी प्रशासन को दी। मण्डी समिति के सचिव उमेश कुमार शर्मा के निर्देश पर दो कर्मचारी मौके पर पहुंचे और जानकारी ली। मौके पर रंग की थैलियां व कलर चढ़ाने के बाद 8 कट्टों में रंग लगा चना भरा हुआ मिला। वहीं लगभग 100 किलो चना कलर करने के बाद धूप में सुखाया जा रहा था। मौके पर 5 महिला मजदूर चने पर कलर करने व सुखाने तथा कलर करने के बाद तैयार चने को कट्टों में भरवाने के काम में जुटी थी। मण्डी समिति के कर्मचारियों ने वहां रखे सारे चने को कट्टों में भरवा कर ऑफिस में रखवा दिया।
खाद्य सामग्री पर हानिकारक रंग लगाने की जानकारी मिलने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.के. सोनी के निर्देश पर सैम्पल लेने के लिए एक टीम केकड़ी पहुंची। टीम ने प्राथमिक जांच में चने पर कलर लगा हुआ पाया। बाद में टीम ने जांच के लिए 4 सैम्पल लिए तथा 10 कट्टों में भरा लगभग 4 क्विंटल चना जब्त कर मण्डी समिति के सुपुर्द कर दिया। अजमेर से आई टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी अजय मोयल व प्रेमचन्द शर्मा एवं मुकेश शामिल रहे।
अनुज्ञा पत्र 14 दिन के लिए निलंबित

उपखण्ड अधिकारी एवं कृषि उपज मण्डी समिति के प्रशासक रवि वर्मा ने खराब व पुराने चने पर रंग चढ़ाने के मामले में रामसुख प्रजापति के अनुज्ञा पत्र को 14 दिन के लिए निलंबित करने के आदेश दिए हैं।
बेखौफ मिलावटखोरी
केकड़ी में अनेक मिलावटखोर बेखौफ नकली व मिलावटी खाद्य सामग्री तैयार कर बेचने के काम से जुड़े हुए है। कुछ लोग जीरा, सौंफ व चने पर कलर करने का काम करते है। वहीं कुछ मिलावटिए पिसे हुए मसालों में मिलावट करने का काम करते है। यहां नकली सरस घी का काम भी बड़े पैमाने पर चलता रहा है।
सूत्रों की मानें तो मिलावटखोर व्यापारी पुराने अथवा खराब माल को सस्ती दर पर खरीद करते है। इसके बाद उस पर रंग चढ़ा दिया जाता है। रंग चढ़ाने के बाद इन जिंसों को अच्छी क्वालिटी वाले माल में मिला कर ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता है। यहां कुछ लोग नकली जीरा बनाने का काम भी करते हैं। गौरतलब है कि मिलावट एवं रंग करने में काम आने वाली सामग्री किसी भी सूरत में खाद्य पदार्थों की श्रेणी में नहीं आती। इस तरह की मिलावटी सामग्री शरीर में पहुंच कर धीमे जहर का काम करती है। इस तरह की खाद्य सामग्री का लगातार इस्तेमाल करने से कैंसर, अस्थमा, पेट दर्द, पथरी जैसी बीमारी होने की पूरी आशंका रहती है।
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