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अजमेर. जिले की विभिन्न पंचायतों में जल स्वावलंबन योजनांतर्गत 'हरियालीÓ बढ़ाने के लिए वनकर्मियों को जेब ढीली करनी पड़ेगी।
सरकार और वन विभाग ने न बजट का इंतजाम किया और न ही संसाधन उपलब्ध करवाए।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों में तालाबों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ तालाब, नाडी, एनिकट और अन्य कार्य कराए गए हैं।
सरकार ने इनके आसपास के खाली भूमि पर गुरुवार को पौधरोपण का प्रस्ताव भेजा है। साथ ही वन विभाग ने सभी मंडल कार्यालय में 'तुगलकी फरमान जारी किया है। इससे वनकर्मियों की परेशानियां बढ़ गई।
पौधे लगाओ, सुरक्षा भी करो
अजमेर मंडल वन अधिकारी कार्यालय के अधीन नसीराबाद, सरवाड़, पीसांगन, केकड़ी, खरवा, पुष्कर, अजमेर और अन्य इलाकों में वनकर्मी कार्यरत हैं।
इन इलाकों में एक रेंजर और वनकर्मियों पर वन क्षेत्र की सुरक्षा एवं देखभाल की जिम्मेदारी है।
वनकर्मियों को संबंधित वनक्षेत्र को छोड़कर तालाब, नाडी, एनिकट के समक्ष पौधे लगवाने के साथ-साथ सुरक्षा भी करनी होगी।
वनकर्मियों को मूल कार्यक्षेत्र छोड़कर करीब 50 से 80 किलोमीटर क्षेत्र में पौधरोपण कराना पड़ेगा।
खुद जुटाओ बजट-संसाधन
आदेश में विभाग द्वारा राशि का पुनर्भरण करने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ वनकर्मियों ने बताया कि जेसीबी अथवा श्रमिकों से पौधों के लिए गड्ढा खुदवाने के लिए मजदूरी देनी पड़ेगी।
साथ ही पौधे पहुंचाने और उनकी सुरक्षा और अन्य इंतजाम भी करने होंगे। इसके लिए उन्हें ही जेब ढीली करनी होगी।
उधर सहायक वन संरक्षक किशोर गुप्ता का कहना है, कि मुख्यालय के आदेशानुसार ही पौधरोपण कराया जा रहा है। बजट और अन्य व्यवस्थाएं भी वहीं से कराई जानी हैं।
यह करने होंगे काम (विभागीय पत्रानुसार)
-पौधरोपण से पहले और बाद में फोटोग्राफी
-पौधरोपण का पंचनामा जिसमें संबंधित वनकर्मी 3 व्यक्तियों से कराएगा हस्ताक्षर
-कार्य कराने वाले साइट इंचार्ज का नाम
-पौधरोपण के पश्चात साप्ताहिक रिपोर्ट
-पौधरोपण स्थल की जीपीएस रीडिंग
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