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जल्दी कीजिए बीएड कॉलेज में रिपोर्टिंग, वरना फिर नहीं मिलेगा मौका

दो वर्षीय बीएड कोर्स के 99 हजार 199 और चार वर्षीय बीए और बीएससी बीएड पाठ्यक्रम के 20 हजार 301 अभ्यर्थी शामिल हैं।

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b.ed course

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अजमेर

पीटीईटी, बीए/बीएससी बी.एड. प्रवेश पूर्व परीक्षा-2018 की प्रथम काउंसलिंग में शामिल अभ्यर्थियों का कॉलेज में रिपोर्टिंग में करना जारी है। अभ्यर्थी शनिवार तक आवंटित कॉलेज में रिपोर्ट कर सकेंगे।

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने पीटीईटी की प्रथम काउंसलिंग के तहत अभ्यर्थियों को दो और चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम वाले कॉलेज आवंटित किए हैं। इसमें दो वर्षीय बीएड कोर्स के 99 हजार 199 और चार वर्षीय बीए और बीएससी बीएड पाठ्यक्रम के 20 हजार 301 अभ्यर्थी शामिल हैं। तयशुदा कार्यक्रम के तहत अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को बकाया प्रवेश शुल्क जमा कराया। शनिवार को आवंटित कॉलेज में रिपोर्टिंग करने की अंतिम तिथि होगी।

पीएचडी प्रवेश परीक्षा को लेकर होने वाला है बड़ा फैसला

शोध करने के इच्छुक विद्यार्थियों को कुछ ' राहत मिल सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय पीएचडी प्रवेश परीक्षा को जल्द खत्म कर सकता है। इसके लिए देश के शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और शोधार्थियों से सुझाव मांगे गए हैं। रायशुमारी के बाद मंत्रालय इस पर फैसला लेगा।

यूजीसी के निर्देश पर सभी विश्वविद्यालयों ने देश में वर्ष 2009-10 से पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराना शुरू किया है। पूर्व में पीएचडी के लिए विद्यार्थियों के पंजीयन सीधे होते थे। इसके लिए स्नातकोत्तर कक्षा में संबंधित विषय में अंक और देखे जाते थे। यूजीसी ने शोध कार्यों में गिरावट को देखते हुए पीएचडी प्रवेश परीक्षा शुरू की थी। लेकिन कई जटिलताओं से यह फार्मूला भी ज्यादा कामयाब नहीं हो रहा है।

यह आ रही समस्याएं
विश्वविद्यालयों के पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने के बावजूद शोधार्थियों को खास फायदा नहीं मिल रहा। कई विश्वविद्यालयों और उनसे सम्बद्ध कॉलेज में शोधार्थियों के लिए गाइड ही उपलब्ध नहीं है। प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद भी छह माह के कोर्स वर्क और रजिस्ट्रेशन में विलम्ब हो रहा है। इसके अलावा संबंधित गाइड की शैक्षिक एवं प्रशासनिक कार्यों में व्यस्तता के चलते पीएचडी समय पर पूरी नहीं हो रही हैं।

वापस सीधे रजिस्ट्रेशन पर विचार

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 से पीएचडी को कॉलेज-विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की पात्रता बनाने का फैसला किया है। इसके अन्तर्गत पीएचडी धारक अभ्यर्थी ही शिक्षक बन सकेंगे। ऐसे में पीएचडी प्रवेश परीक्षा को खत्म करने का विचार किया जा रहा है। मंत्रालय का मानना है, कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद अभ्यर्थियों को नियत अवधि में उपाधि नहीं मिल रही। इसके अलावा विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों की संख्या तेजी से घट रही है। पंजीयन में लगातार कमी इसका द्योतक है।

विशेषज्ञों-शिक्षाविदों से सुझाव
प्रवेश परीक्षा अथवा पीएचडी में सीधे रजिस्ट्रेशन को लेकर मंत्रालय ने देश भर में विशेषज्ञों और शिक्षाविदें से सुझाव मांगे हैं। रायशुमारी मिलने के बाद एक उच्च स्तरीय समिति इसका अध्ययन करेगी। समिति की रिपोर्ट पर मंत्रालय पीएचडी प्रवेश परीक्षा को जारी रखने या खत्म करने पर फैसला करेगा। बनाएं