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Independece day: पांच महीने बाद लहराया सौ फीट पर तिरंगा

भारत में प्राचीन काल से ध्वज को फहराने और उतारने की रस्म (tradition) निर्धारित है। सतयुग और द्वापर युग से लेकर रियासतों के जमाने में सूर्योदय (sunrise) के साथ ध्वज फहराया जाता था।

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अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालयमें करीब चार महीने बाद सौ फीट पर तिरंगा फिर नजर आया। बार-बार फटने की वजह से प्रशासन तिरंगा (tiranga)नहीं लगा रहा था। गुरुवार को इसे फहराया गया।

इस साल मार्च में तेज हवाओं के चलते सौ फीट पोल पर लगा फट गया था। इसी तरह साल 2017 में 5 और 6 दिसम्बर को ओखी तूफान और 2018 में मार्च-अप्रेल में तूफानी हवा के चलते विश्वविद्यालय ने सौ फीट पोल से तिरंगा (tiranga) उतरवा लिया था। इस कुछ दिन बाद वापस ध्वज फहराया गया, लेकिन यह भी फट गया। इसके चलते प्रशासन ने तिरंगे को उतार दिया। लेकिन नया ध्वज नहीं फहराया।

पांच महीने बाद आया नजर
पिछले दिनों कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने प्रशासन से तिरंगा नहीं फहराने की वजह पूछी, साथ ही तत्काल ध्वज लगाने को कहा। इसकी अनुपालना में गुरुवार को प्रशासन ने तत्काल पोल (100 feet pole) पर ध्वज फहराया।

यह है ध्वज फहराने-उतारने की रस्म
भारत में प्राचीन काल से ध्वज को फहराने और उतारने की रस्म (tradition) निर्धारित है। सतयुग और द्वापर युग से लेकर रियासतों के जमाने में सूर्योदय (sunrise) के साथ ध्वज फहराया जाता था। इस दौरान ढोल-नगाड़े, दुंदुभी या शहनाई बजाई जाती थी। इसी तरह सूर्यास्त (sunset) होने से पूर्व ध्वज को इसी तरह सम्मानपूर्वक (honour) उतारा जाता था। आजादी से पहले 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पहल पर कांग्रेस (congress)की बैठक में सबसे पहले ध्वज अपनाया गया था।

विश्वविद्यालय ने मंगवाया नया झंडा

स्वाधीनता दिवस के लिए विश्वविद्यालय ने नया झंडा (new flag) मंगवाया। विश्वविद्यालय में साल 2017 में सौ फीट पोल पर राष्ट्रीय ध्वज (national flag) फहराया गया गया था।बीती 9 मार्च को तेज हवा से सौ फीट पर लहराता तिरंगा फट गया था। फटा झंडा लहराता देखकर छात्रों ने नाराजगी जताई। मुख्य कुलानुशासक (chief proctor) और अधिकारियों-कार्मिकों ने मशक्कत कर ध्वज को नीचे उतरवाया था। तेज हवाओं के चलते तिरंगा उतार दिया गया। इस साल 22 जनवरी को प्रशासन ने फिर तिरंगा फहराया था।


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