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1836 में स्थापित राजकीय महाविद्यालय (अब एसपीसी-जीसीए) प्रदेश का सबसे पुराना संस्थान है। परिसर में गल्र्स और बॉयज हॉस्टल, प्राचार्य आवास, खेल मैदान, सभागार, स्वीमिंग पूल, जिम्नेजियम, लाइब्रेरी और अन्य संसाधन उपलब्ध हैं। विद्यार्थियों की सुविधाओं के मामले में यह पूरे प्रदेश में अव्वल है। यहां गल्र्स हॉस्टल में 80 से ज्यादा छात्राएं (girls in hostel) रहती हैं। इनके लिए नाश्ता, सुबह-शाम का भोजन मैस में बनता है। यह भी पढ़ें
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वक्त के साथ बढ़ रहा खर्चामहंगाई के साथ हॉस्टल में आटा, दाल, दूध-चाय, शक्कर, चावल, घी-तेल सहित सब्जियों के दाम (price hike) भी लगातार बढ़ रहे हैं। छात्राओं को पर्याप्त और गुणवत्तायुक्त भोजन मुहैया कराना कॉलेज की जिम्मेदारी है। कॉलेज के लिए तय फीस में छात्राओं के लिए नियमित भोजन (food) मुहैया कराना चुनौती है। सरकारी संस्था होने से कॉलेज अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकता है।
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परिसर में तैयार हुई सब्जियांपरिसर में ब्रिटिशकालीन प्राचार्य आवास है। यहां मुख्य भवन के अलावा उद्यान और खाली भूखंड है। प्राचार्य डॉ. एम.एल. अग्रवाल की पहल पर बीत दो-तीन महीने भूखंड को समतल किया गया। यहां हरी सब्जियां (vegetables) लगाई गई हैं। इनमें बैंगन, फूल गोभी, हरा धनिया, पत्तागोभी, टमाटर, पालक, मूली, हरी मिर्च, बैंगन, भिंडी, फली और आलू शामिल है। यहां तैयार सब्जियां रोजाना गल्र्स हॉस्टल (suuply to hostel) में भेजी जा रही हैं। इससे छात्राओं के लिए प्रतिदिन हरी सब्जी मुहैया हो रही है।
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फैक्ट फाइल1836 में स्थापित हुआ कॉलेज
8 हजार से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत
80 छात्राएं रहती है हॉस्टल में
175 से ज्यादा हैं शिक्षक आवास पर बरसों से खाली भूखंड पड़ा था। यहां मौसम अनुसार हरी सब्जियां लगाई गई हैं। इससे गल्र्स हॉस्टल में शुद्ध हरी सब्जियां उपलब्ध हो रही हैं। साथ ही खर्च भी कम हुआ है।
डॉ. एम. एल. अग्रवाल, प्राचार्य एसपीसी-जीसीए