
examination work effected
अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रहीं। विश्वविद्यालय के परीक्षात्मक गोपनीय कार्य पर संकट मंडराया हुआ है। नियमानुसार कुलपति ही मंजूरी के लिए अधिकृत हैं। अगले सप्ताह तक कुलपति मामले में कोई फैसला नहीं हुआ तो सालाना परीक्षाओं में परेशानियां बढ़ सकती है।
विश्वविद्यालय प्रशासन स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों से ऑनलाइन फार्म भरवा चुका है। इनकी परीक्षाएं साल 2019 में होनी हैं। प्रशासन प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के नॉन कॉलेजिएट विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाएं फरवरी के पहले पखवाड़े में शुरू करता रहा है। इसके लिए प्रशासन परीक्षात्मक गोपनीय कार्य कराता है। इनमें प्रश्न पत्र निर्माण, कॉपियों की छपाई, रिजल्ट प्रोसेसिंग और अन्य कार्य शामिल हैं।
कुलपति ही देते हैं मंजूरी
विश्वविद्यालय के नियमानुसार परीक्षात्मक गोपनीय कार्य को स्थाई अथवा कार्यवाहक कुलपति की मंजूरी देते हैं। बेहद गोपनीय कार्य होने से कुलपति ही फर्म के चयन और कार्यादेश के लिए अधिकृत हैं। पिछले 31 साल में विश्वविद्यालय के समक्ष कभी परेशानी नहीं आई। लेकिन बीते तीन महीने से कुलपति की गैर मौजूदगी से सभी कामकाज गड़बड़ा गए हैं।
एक कुलपति दे गए सलाह....
पूर्व कुलपति हाल में विश्वविद्यालय आए थे। गोपनीय परीक्षात्मक कार्यों की दिक्कतों को लेकर उनके समक्ष जिक्र चला। उन्होंने कहा कि सालाना परीक्षाएं कराना जरूरी है। जिस प्रक्रिया से सत्र 2017-18 का परीक्षात्मक गोपनीय कार्य किया है, उससे ही काम करा लिया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने परीक्षा विभाग को राजभवन को पत्र भेजने की सलाह भी दे डाली।
राजभवन-सरकार नहीं गंभीर
कुलपति की गैर मौजूदगी से विश्वविद्यालय परेशान है। इसके बावजूद राज्यपाल कल्याण सिंह और सरकार गंभीर नहीं है। दोनों इस मामले में तमाशा देख रहे हैं। कुलपति और राजभवन की नजदीकियों से सब वाकिफ हैं। विधानसभा में पारित एक्ट के बावजूद वैकिल्पक व्यवस्था नहीं करना समझ से परे है।
Published on:
06 Jan 2019 05:16 pm
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