
अजमेर दरगाह में नोट लुटाने पर भगदड़ से जायरीन की जान को खतरा
अजमेर. ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स (ajmer urs) के दौरान बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म के दौरान यदि नोट या रेजगारी लुटाने पर रोक नहीं लगायी गयी तो इस वजह से होने वाली भगदड़ से जायरीन की जान तक जा सकती है। सीआइडी ने इस आशय की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी है।
हाल ही आयोजित उर्स की बैठक में भी दरगाह के प्रतिनिधियों व पुलिस प्रशासन के बीच यह मुद्दा उठ चुका है। लेकिन इसके बावजूद इस पर रोक नहीं लगायी जा सकी। सूत्रों ने बताया कि पिछले कई सालों से उर्स का झंडा चढ़ाने के दौरान नोट व रेजगारी लुटाने की परम्परा जारी है ।
झंडे की रस्म के दौरान लूटे गए नोट जायरीन के लिए बरकत माने जाते हैं। यानी ऐसे नोट अथवा रेजगारी के सिक्कों को खर्च नहीं कर अपने घर या दुकान की तिजोरी में सुरक्षित रखे जाने पर पैसे की कमी नहीं होती और ख्वाजा साहब की मेहरबानी से ताउम्र झोली भरी रहती है। यही वजह है कि इन नोटों के लिए जायरीन अपनी जान की परवाह नहीं करते और नजर हवा में लहराते सहन चिराग की तरफ आने वाले नोटों की तरफ टिकी रहती है।
नोट लपकने के लिए एकसाथ सैकड़ों हाथ धक्का-मुक्की करते हुए उठते हँैं जिससे भगदड़ की स्थिति बन जाती है। ऐसे नोट या रेजगारी लूटने के लिए जायरीन की भीड़ इस कदर आगे बढ़ कर आती है कि पुलिस प्रशासन को उन्हें रोकना भारी पड़ता है। एक-दूसरे को धकियाते आगे बढऩे की होड़ में कई मर्तबा मारपीट तक की नौबत आ जाती है।
पहले से ही जमा हो जाते हैं
रोशन तकदीर की चाबी समझे जाने वाले ऐसे नोट लपकने के लिए सैकड़ों जायरीन झंडा चढऩे की रस्म होने के पहले ही जगह बना कर खड़े हो जाते हैें। जैसे ही बुलंद दरवाजे या देग के आसपास से एकसाथ नोटों की गड्डी लहराते हुए हवा में उछाली जाती है वैसे ही जायरीन किसी की परवाह किए बगैर उन्हें लपकने के लिए दौड़ पड़ते हैं । नोट उछालने वाले ऐसे ही एक शख्स ने बताया कि ऐसा करने से उनका कारोबार ख्वाजा साहब की मेहर से फलता-फूलता है।
कभी हो सकता है हादसा
सीआईडी ने इस मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजते हुए कहा है कि ऐसे हालात में मचने वाली भगदड़ से हादसे की आशंका बनी हुई है। इस आशय की रिपोर्ट पूर्व में भी भेजी गयी थी किन्तु इसके बावजूद हालात नहीं बदले। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि यह मामला अत्यधिक संवदेनशील होने से किसी तरह का बल प्रयोग नहीं किया जा सकता। हालांकि जायरीन के भीड़ में नहीं दबने के लिए उन्हें रोकने के प्रयास नाकाफी ही रह पाते हैं। कई बार नीचे गिरे नोट उठाने के लिए जायरीन एक-दूसरे के ऊपर तक गिरते चले जाते हैं। जिन्हें बड़ी मुश्किल से अलग किया जाता है। कई बार तो उनमें मारपीट तक हो जाती है।
बैठक में रोक लगाने का मुद्दा उठा था
अधिकारियों के मुतातबिक हाल में 808 वें उर्स की बैठक में दोनों अंजुमन सहित पुलिस प्रशासन की बैठक में यही मामला पुलिस की ओर से भी उठाया गया था। जिसमें हादसे की आशंका व्यक्त की गयी थी। दरगाह कमेटी से इस पर रोक लगाने को भी कहा गया था। कमेटी ने भी बीस फरवरी को उर्स का झंडा चढ़ाने के दौरान माइक से इसके लिए चेतावनी का एलान किया था। लेकिन यह सबकुछ कतई बेअसर रहा।
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अब कार्रवाई की बात
इस बाबत दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने बताया कि पहली बार चेतवानी दी गयी थी जिसका असर दरगाह कमेटी के गेस्ट हाउस में देखने को मिला जहां इस बार नोट नहीं लुटाए गए। उनका दावा है दरगाह में करीब नब्बे फीसदी असर हुआ है। जिन्होंने नोट लुटाए हैं उनकी पहचान की जा रही है। उर्स के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
Published on:
23 Feb 2020 01:38 pm
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