
पंचशील ए ब्लॉक स्थित जन शिक्षण संस्थान कार्यालय।
अजमेर. युवाओं में कौशल दक्षता व व्यवसायिक प्रशिक्षण बढ़ाने के लिहाज से संचालित जनशिक्षण संस्थान को बीते दो दशक से अपने हिसाब से चलाया जा रहा है। केन्द्र सरकार से मिलने वाली 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद से संस्थान में अपने स्तर पर संविदाकर्मियों की नियुक्ती, पदोन्नति व वेतन बढ़ोत्तरी निर्धारित की जाती है। मामले में पीडि़त की ओर से अनुसंधान के दौरान दी गई जानकारी में बताया गया कि यहां सबकुछ ‘मनमर्जी’ से चल रहा है।
आरोप है कि पंचशील ए ब्लॉक में संचालित जनशिक्षण संस्थान में 10 दिन पहले सामने आई रिश्वतखोरी के मामले की बेल लम्बी और गहरी है। संस्थान में निदेशक समेत 8 पद हैं। निदेशक की नियुक्ति भले ही केन्द्र सरकार का कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय करता है, लेकिन नाम का निर्धारण अजमेर में गठित बोर्ड करके भेजता है। मंत्रालय की मोहर के बाद 5 साल के लिए चेयरमैन की नियुक्ति होती है। निदेशक संस्थान के संविदाकर्मियों की नियुक्ति, पदोन्नति व वेतन-भत्ते का निर्धारण उच्च स्तरीय सहमति पर करता है। संविदाकर्मियों का कार्यकाल एक साल का होता है जो हर साल पुन: इंटरव्यू से लगाए जाते हैं।
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जन शिक्षण संस्थान में निदेशक के अलावा कार्यक्रम अधिकारी, सहायक कार्यक्रम अधिकारी, अकाउंटेंट, फील्ड असिस्टेंट, कम्प्यूटर ऑपरेटर, ड्राइवर कम अटेंडर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद है। यूं तो सब पद संविदा पर हैं, लेकिन अजमेर में कार्यक्रम अधिकारी शैलेन्द्र कश्यप व सहायक कार्यक्रम अधिकारी ब्रजराज वर्ष 2000 से काम कर रहे हैं। उनके वेतन को लेकर न्यायालय में वाद विचाराधीन है।
पीडि़त की ओर से यह भी बताया गया कि संविदाकर्मी संस्थान में दबी जुबान में कमीशन के खेल को स्वीकार करते हैं। उनका दावा है कि निदेशक की नियुक्ति से लेकर संविदाकर्मियों के चयन व वेतन भत्तों में कमीशन का तगड़ा झोल है। निदेशक श्वेता आनन्द ने शैलेन्द्र कश्यप से 4 हजार रुपए के हिसाब से 12 महीने के 48 हजार की डिमांड की, लेकिन उसकी मिन्नतों के बाद कमीशन की राशि 40 हजार रुपए कर दी गई।
Published on:
18 May 2024 03:07 am
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