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अब यूं मिलेगी जेईई मेन्स की रैंकिंग, हजारों स्टूडेंट्स के काम की है यह खबर

विद्यार्थियों की बारहवीं की अंकतालिका के रोल नंबर वेरीफाई नहीं करेगा।

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jee mains 2018 ranking

jee mains 2018 ranking

अजमेर।

जेईई मेन्स-2018 की रैंकिंग में बारहवीं के अंक नहीं जोड़े जाएंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजना के अनुसार विद्यार्थियों को आईआईटी और अन्य समकक्ष संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षा पास करने के अलावा बारहवीं में 75 प्रतिशत अंक लाने जरूरी होंगे।

जेईई मेन्स की ऑफलाइन परीक्षा 8 अप्रेल तथा ऑनलाइन परीक्षा 15-16 अप्रेल को होगी। जेईई मेन्स परीक्षा-2018 में उत्तीर्ण होने वाले 2.24 लाख अभ्यर्थी आईआईटी में प्रवेश के लिए जेईई एडवांस परीक्षा देंगे। अन्य विद्यार्थियों को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) अैार अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले मिलेंगे।

उधर सीबीएसई ने बारहवीं के अंक जोडऩे संबंधित आदेश को स्पष्ट किया है। बोर्ड के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस वर्ष होने वाली जेईई मेन्स परीक्षा की रैंकिंग के साथ बारहवीं के अंक नहीं जोडऩे का फैसला किया है। लिहाजा बोर्ड ऐसे विद्यार्थियों की बारहवीं की अंकतालिका के रोल नंबर वेरीफाई नहीं करेगा।

विद्यार्थियों को एनआईटी, आईआईटी अथवा अन्य संस्थानों में काउंसलिंग के दौरान बारहवीं की अंकतालिका प्रस्तुत करनी होगी। इसमें 75 प्रतिशत अंक संबंधित नियम पूरा करना होगा।

कई राज्यों ने अपनाई परीक्षा

मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, नागालैंड, ओडिशा आर अन्य राज्यों ने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए जेईई मेन्स को अपनाया है। राजस्थान भी 2016 में जेईई मेन्स को अपना चुका है। इन सभी राज्यों के सरकारी एवं निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में जेईई मेन्स में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संशोधित नियमों और वरीयतानुसार प्रवेश दिए जाएंगे।

पहले जुड़ते थे अंक
पिछले साल तक बारहवीं के अंक रैंकिंग में जुड़ते थे। बारहवीं के 40 और जेईई मेन्स के 60 प्रतिशत अंक के आधार पर रैंकिंग तय होती थी। इस साल से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फार्मूला बदल दिया है। इसके चलते विद्यार्थियों को नए नियमों से रैंकिंग जारी की जाएगी।

साल में दो बार परीक्षा!
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेईई मेन्स की परीक्षा साल में दो बार कराने की योजना भी बनाई है। इसके तहत अप्रेल और दिसम्बर में परीक्षा कराया जाना प्रस्तावित है। ताकि विद्यार्थियों को साल भर का इंतजार नहीं करना पड़े। हालांकि यह प्रक्रिया आसान नहीं है। आईआईटी, एनआईटी और अन्य संस्थानों को अपने सत्रारम्भ कार्यक्रम में भी बदलाव करना पड़ेगा।