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विभाजन के समय नसरपुर से लाए ज्योत, झूला और झूलेलाल की मूर्ति

पाकिस्तान से लाई ज्योत आज भी जल रही है अजमेर में

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अजमेर

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Amit Kakra

Mar 19, 2023

विभाजन के समय नसरपुर से लाए ज्योत, झूला और झूलेलाल की मूर्ति

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अमित काकड़ा
अजमेर. खुद की जान पर बनी थी, लेकिन ईष्टदेव की ज्योत बुझे नहीं इसकी चिंता सता रही थी। इसके लिए चार जनों ने नसरपुर (पाकिस्तान) से अजमेर तक का सफर तय किया। घर के सामान से ज्यादा ज्योत के लिए तेल लाए, ताकि ज्योत खण्डित नहीं हो।
अजमेर के नवाब का बेड़ा स्थित लाल साहेब मंदिर में यह ज्योत आज भी जल रही है। चेटीचंड के जुलूस में सबसे आगे इसी मंदिर का बहराणा चलता है। मोहनलाल मंगनानी ने बताया कि उनके पूर्वज नसरपुर में रहते थे। नसरपुर में ही झूलेलाल ने अवतार लिया था। भारत के विभाजन के बाद घर छोड़ने की नौबत आ गई। समाज के सिद्ध पुरुष टेऊंराम, उनके दादा रोचीराम, लालचंद और गोपालदास ने चर्चा की। उन्होंने तय किया कि मंदिर का सामान और झूलेलाल की ज्योत प्रमुखता से ले जाएंगे। कई दिन लग सकते हैं। ऐसे में ज्योत के लिए तेल ज्यादा ले जाएंगे। वहां स्थित झूला, मूर्ति और अन्य सामान लेकर संभवत: 15 अक्टूबर को नसरपुर से रवाना हुए। लोहे की बाल्टी में मिट्टी बिछाकर उसमें ज्योत को रखा गया। चारों जने ज्योत लेकर अजमेर पहुंचे। यहां स्टेशन पर एक शिविर में चारों को रुकवाया गया। शिविर में लॉ स्टूडेंट पी. डी. कुदाल आए तो उन्होंने ज्योत देखी। टेऊंरामजी व साथियों ने उन्हें ज्योत की जानकारी दी। इस पर चारों को मकान में शिफ्ट कराया गया। 19 अक्टूबर 1947 से यह ज्योत आज तक जल रही है।
चौथी पीढ़ी कर रही सार-संभाल

दिनेश मंगनानी ने बताया कि टेऊंराम, उनके दादा रोचीराम, लालचंद और गोपालदास के दिवंगत होने के बाद मूलचंददास और परमेश्वरी मंदिर की सेवा करते हैं। इनके बाद राजेन्द्र मंगनानी ने सेवा की। वर्तमान में कांता मंगनानी सहित परिवार के लोग सेवा कर रहे हैं।
देश-प्रदेश के कई मंदिरों में गई ज्योति

जयराम मंगनानी ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि मंदिर से अजमेर के दिल्ली गेट, आशागंज और अहमदाबाद, हैदराबाद सहित कई मंदिरों में ज्योत गई है।