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…तो क्या मुंबई जैसे हादसे की है इंतजार! किशनगढ़ के जर्जर भवनों पर कब चलेंगे बुलडोजर

मार्बल नगरी किशनगढ़ में कई पुराने भवन मौत को दे रहे न्योता, भवन मालिकों को नगर परिषद ने जारी किए नोटिस,लेकिन कोई असर नहीं, प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती तो खण्डहर इमारते कर सकती है जनहानि

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Khandahar buildings fear accident

...तो क्या मुंबई जैसे हादसे की है इंतजार! किशनगढ़ के जर्जर भवन पर कब चलेंगे बुलडोजर

अजमेर.

सरकार और प्रशासन की नरमी कई बार महंगी पड़ जाती है। बाद में पछताने और सख्ती बरतने से कुछ नहीं होता। किसी हादसे से पहले ही कार्रवाई हो जाए तो लोगों को जान तो बच जाएगी। मार्बल नगरी किशनगढ़ में ऐसे कईं मकान हैं जो गिरने के कगार पर है।

इनमें से कुछ भवनों में लोग निवास कर रहे हैं तो कई खाली पड़े हैं जो रख-रखाव के अभाव में जर्जर अवस्था में पहुंच गए। यदि ऐसे भवनों को गिराया नहीं गया तो मुंबई जैसा हादसा हो सकता है।

मानसून का दौर शुरू होते ही किशनगढ़ में जर्जर भवनों से खतरा बढ़ गया है। मुंबई में मंगलवार को बरसों पुरानी केसरबाई नामक इमारत गिर गई। इसके चलते कई लोग जान गंवा बैठे तो कई घायल हो गए। इसे देखते हुए किशनगढ़ में भी लोगों की सुरक्षा के लिए पुराने भवनों को जमींदोज की जरूरत है।

वैसे बारिश में इन भवनों के ढहने से खतरे को देखते हुए परिषद प्रशासन ने भवनों को खाली करने और मरम्मत आदि के लिए भी नोटिस जारी किए हैं, लेकिन अबी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
किशनगढ़ में करीब दो दर्जन भवन खंडहर में तब्दील हो गए हैं। इसमें से कुछ मकान तो बंद पड़े हैं, जबकि कुछ में लोग निवास कर रहे हैं। इनमें से कई मकानों के परिसर में व्यावसायिक गतिविधियां भी संचालित है। तेज बारिश होने पर ऐसे जर्जर भवन गिर सकते हैं। नगर परिषद प्रशासन ने इन भवनों को चिह्नित कर मालिकों को नोटिस जारी कर दिए। इसके बाद भी यह भवन खाली नहीं किए जा रहे।

यहां पर सर्वाधिक स्थिति खराब

किशनगढ़ के लुहारियाबास, ब्रह्मपुरी मोहल्ला, पुरानी कोतवाली के पास, दीवानजी का मोहल्ला, नया शहर और मदनगंज क्षेत्र में कई जर्जर मकान हैं। इन मकानों के गिरने पर कभी ही जनहानि हो सकती है।

हवेलियों के साथ सरकारी भवन भी जर्जर

किशनगढ़ में कई पुरानी हवेलियां भी है। इसमें से अधिकतर खाली पड़ी हैं। उनकी सार-संभाल नहीं होने के चलते वह खंडहर में तब्दील हो गई है। इसी प्रकार कई सरकारी भवन भी है जो भी देख-रेख के अभाव में जर्जर हो चुके हैं। इस ओर भी प्रशासन को ध्यान नहीं है।


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