
lock down help birds
रक्तिम तिवारी/अजमेर
खान-पान और आश्रय स्थल की कमी के चलते आम दिनों में हमें चिडिय़ा, मैना, तोते और अन्य पक्षी कम नजर आते थे, लेकिन पिछले 20 दिन से जारी लॉकडाउन इनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है। शोर-शराबा-प्रदूषण पक्षियों से दूर हैं। ऐसे में इनका कलरव सुबह से देर शाम तक सुना जा सकता है।
बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, सिमटते जल और खाद्यान स्त्रोत के कारण भारत सहित कई देशों में पक्षियों का जीवन खतरे में है। पिछले साल सांभर झील में हजारों प्रवासी पक्षियों की मृत्यु हुई थी। जबकि पक्षी प्रकृति के विशेष मित्र हैं। यह कीट नियंत्रण, पारिस्थितिकी संतुलन, पौधों में निशेचन करते हैं। लेकिन अंधाधुंध शहरीकरण, वाहन और ध्वनि प्रदूषण के चलते कई देशी और प्रवासी पक्षी विलुप्ति के कगार पर हैं।
लॉकडाउन से हुआ फायदा
एमएसजे कॉलेज भरतपुर के प्राणीशास्त्र विभागाध्यक्ष और पक्षीविद् प्रो. धीरेंद्र देवर्षि ने बताया कि शहर के व्यस्ततम जीवन चक्र, पेड़-पौधों की घटती संख्या ने पक्षियों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। लॉकडाउन के बीस दिन में पक्षियों की जीवनचर्या में बदलाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने गौरेया, मैना, कोयल और अन्य पक्षियों के कलरव पर अध्ययन किया है। पहले की तुलना में यह 40 से 70 प्रतिशत तक स्पष्ट सुनाई दे रहा है। प्रदूषण और शोर के कारण आमदिन में पक्षियों को भोजन-आहार संग्रहण सुबह ८ बजे तक कर पाते थे। इन दिनों पक्षियों को शाम 3-4 बजे तक आहार संग्रहण कर रहे हैं।
कई शहरों में दिखे वन्य जीव
लॉकडाउन के दौरान कई शहरों में सडक़ों पर वन्य जीव भी दिखे हैं। मुंबई में मोर, सवाईमाधोपुर में भालू, चंडीगढ़ में सांभर, चीतल, मध्यप्रदेश में बारहसिंगा और अन्य वन्य जीव दिखाई दिए हैं मानवीय हलचल नहीं होने के कारण ही ऐसा हुआ है।
अजमेर में आते हैं ये पक्षी
स्पॉट बिल डक, आईबिस, कॉमन मैना, परपल ग्रे हेरॉन, इग्रेट (व्हाइट ग्रे), मूरहेन, मैलार्ड, कॉमन टील, रफ, किंगफिशर, स्पून बिल, स्पॉट बिल्ड डक, नॉर्दन शॉवलर सहित 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षी। स्पॉटबिल डक, कॉमन मैना आनासागर में प्रजनन भी करते हंैं।
करने होंगे यह प्रयास
-पक्षियों के आश्रय स्थल के निकट रोकें मानवीय हलचल और शोर-शराबा
-शहरीकरण की निर्धारित करें सीमा -प्राकृतिक आवास, भोजन
-पानी का प्रबंधन-पक्षियों के लिए बनाएं जलाशयों पर प्राकृतिक वैटलैंड
Published on:
14 Apr 2020 08:37 am
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