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ajmer bypoll: मतदान के बाद उड़े भाजपा और कांग्रेस के होश, नेताओं के माथे पर दिखी चिंता की लकीरें

राजनीति के धुरंधर भी स्पष्ट रूप से कुछ कहने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।उपचुनाव के नतीजे बेहद चौंकाने वाला हो सकते हैं।

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low voting create problem

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उपेंद्र शर्मा/अजमेर।

मतदान से ठीक पहले आम बातचीत, मीडिया और सोशल मीडिया में बढ़-चढ़कर दावे करने वाले भाजपाइयों और कांग्रेसियों के लब मतदाताओं ने शांत कर दिए हैं। मतदान के बाद दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं।

मतदाताओं ने 65.41 प्रतिशत मतदान कर दोनों पार्टियों की उलझनें बढ़ा दी है। राजनीति के धुरंधर भी स्पष्ट रूप से कुछ कहने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में लोकसभा उपचुनाव के नतीजे बेहद चौंकाने वाला हो सकते हैं।

चुनाव लडऩे वाले नेता हों या कार्यकर्ता कोई भी स्पष्ट रूप से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं। मतदान के बाद सोशल मीडिया पर दोनों ही पक्ष के लोग लगभग खामोश हैं। मतदाताओं ने न तो मतदान के प्रति बहुत उत्साह प्रदर्शित किया और न ही उदासीनता दिखाई। जबकि पिछले एक पखवाड़े से कांग्रेस और भाजपा ने जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन, जीत-हार के लम्बे-चौड़े दावे किए थे।
नसीराबाद में जहां लगभग 72 प्रतिशत वोटिंग हुई वहीं अजमेर उत्तर और दक्षिण में मात्र 56 और 59 प्रतिशत। शेष में किशनगढ़, दूदू, केकड़ी, पुष्कर और मसूदा में लगभग 65-67 प्रतिशत मतदान हुआ है। जिन इलाकों में जाट, गुर्जर, मुस्लिम मतदाता हैं, वहां मतदान का प्रतिशत अन्य इलाकों की तुलना में ज्यादा दिखाई दिया है।

हालांकि उप चुनावों में आम तौर पर 50-55 प्रतिशत की वोटिंग मानी जाती रही है। उस हिसाब से मतदान में बढ़ोतरी ही हुई है। लेकिन भी कांग्रेस और भाजपा के नेता इस ट्रेंड को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं दिख रहे हैं।

एक अनुमान है कि तकरीबन 12 लाख लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। कांग्रेस-भाजपा दोनों को 5-5 लाख वोट मिलना तो तय ही है। शेष दो लाख मतों में से निर्दलीय, नोटा और खारिज मतों की सख्या तकरीबन 50 हजार हो सकती है। शेष डेढ़ लाख वोट ही विजेता का भाग्य तय करेंगे।

थे 18 लाख 44 हजार वोटर

अजमेर लोकसभा उपचुनाव में 18 लाख 44 हजार से ज्यादा वोटर पंजीकृत थे। इनमें से 12 लाख ने मताधिकार का प्रयोग किया है। शेष करीब 6 लाख वोटर्स या तो मतदान से दूर रहे, या मतदाता सूची में नाम कटने से वोट नहीं डाल पाए। जबकि यह राजनैतिक पार्टियों के लिए वोट के लिहाज से एक बड़ी संख्या है।

मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर वोटर्स के नाम कटे, लेकिन इसको लेकर ना बीजेपी और ना कांग्रेस ने चुनाव से पहले कोई ध्यान देना मुनासिब समझा। यही वजह है कि इस बार का परिणाम मतों के लिहाजा से ज्यादा फासले वाला नहीं रहेगा।