ऋषि उद्यान में बनेगा म्यूजियम सभा में महर्षि दयानन्द सरस्वती के म्यूजियम निर्माण का प्रस्ताव रखा जिसे पारित कर दिया गया। अब जल्द ऋषि उद्यान में महर्षि दयानन्द सरस्वती की जीवनी पर अनूठी म्यूजियम तैयार किया जाएगा।
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माचिस की डिबिया में रखी जा सकती थी इंदिरा गांधी की साड़ी! ऋषि मेले में आर्य विद्वानों ने दिया संदेश अजमेर. वेदों की ओर लौटने का संदेश देने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती के शहर में वार्षिक ऋषि मेला जारी है। परोपकारिणी सभा के तत्वावधान में आयोजित मेले में देश भर से आर्य विद्वान, शिक्षक और आमजन ऋषि उद्यान में जुटे हैं। राष्ट्र निर्माण पार्टी के अध्यक्ष ठा. विक्रमसिंह ने कहा कि स्वामी दयानन्द का सपना पूरा नहीं हुआ है। इसे पूरा करने के लिए आमजन को जुटना चाहिए। वे शनिवार को आर्यसमाज की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।
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अफगान अजमेर में बनाएगा स्मारक उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने, गोहत्या निषेध, बूचडख़ाने और शराब बंदी सहित वेदों के प्रचार के पक्षधर है। लेकिन इन मुद्दों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ शक्तियां लगातार भारत की छवि बिगाडऩे की साजिश कर रही हैं। आर्य युवाओं को महर्षि दयानन्द के सपनों का भारत बनाने में जुटना चाहिए। अंधविश्वास और पाखंड की जड़ें उखाड़े बिना यह संभव नहीं है। इस दौरान डॉ. पुनीत शास्त्री को सुमनलता इन्द्रजीत देव कार्यकत्र्ता सम्मान प्रदान किया गया। नीदरलैंड के रामपाल आर्य की पुस्तक का विमोचन किया गया। ऊषा शर्मा को कमलादेवी नवाल विदुषी सम्मान प्रदान किया गया। संचालन आचार्य राजेन्द्र विद्यालंकार ने किया। व्यायाम और योग प्रदर्शन
विज्ञान के साथ बढ़ेंगे वेद
आचार्य महावीर मीमांसक ने कहा कि 21 वीं सदी में विज्ञान सर्वोपरि होगा। और जैसे-जैसे विज्ञान बढ़ेगा वैसे ही वेद भी आगे बढ़ेंगे। स्वामी दयानंद ‘वेद में विज्ञान’ को पहले ही प्रतिपादित कर चुके हैं। समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों को खत्म करना होगा।
आध्यात्मिक परम्पराओं से विश्व गुरु
आचार्य सोमवीर ने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्वगुरु कहलाता था। आध्यात्मिक परम्पराओं के बूते यह सम्मान हासिल था। स्वामी प्रणवानन्द ने कहा कि आलस्य और प्रमाद का आर्यसमाज में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने शराबखोरी और मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिन्ता जताई। साहित्य-पुस्तक प्रदर्शनीऋषि मेला में साहित्य और पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां वैदिक साहित्यों की बिक्री जारी है। कई पुस्तकों का विमोचन किया गया है। इसके अलावा वैदिक हवन सामग्री, पीतल-ताम्र पात्र, मालाएं, प्राचीन साहित्य-पुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित देश भर से आर्य विद्वान, गुरुकुल के अध्यापक और वेदपाठी मेले में आए हैं।