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नाम तो वुमेन्स कॉलेज, यहां पुरुष कर रहे ऐसा काम…

तकनीकी शिक्षा विभाग और राज्य सरकार ने कभी इस कॉलेज में महिलाओं को सर्वोच्च पद नहीं सौंपा है।

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Girls Engineering college

Girls Engineering college

रक्तिम तिवारी/अजमेर. उत्तर भारत के अजमेर में खुले पहले महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में महिला प्राचार्य कभी भी नहीं रहीं। छात्राओं के लिए खुले कॉलेज में पिछले 15 साल से पुरुष ही प्राचार्य पद संभाल रहे हैं।

साल 2007 में अजमेर के माखुपुरा में महिला इंजीनियरिंग कॉलेज खोला गया। इसे उत्तर भारत के पहले महिला इंजीनियरिंग कॉलेज होने का गौरव भी हासिल है। कॉलेज में कंप्यूटर साइंस, आईटी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ह्म्म्यूनिटीज एंड साइंसेज, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, एमसीए और अन्य ब्रांच संचालित है।

15 साल से पुरुष ही प्रधान. . .

कॉलेज में 15 साल से प्राचार्य पद पर पुरुष ही तैनात हैं। इस दौरान प्रो. श्रीगोपाल मोदानी, प्रो. एम.सी.गोविल, डॉ. एम.एम. शर्मा, प्रो. अजय सिंह जेठू, प्रो. रंजन माहेश्वरी प्राचार्य रहे। मौजूदा वक्त बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज के सह आचार्य डॉ. जे.के.डीगवाल प्राचार्य हैं।

महिलाओं को नहीं मिली कमान

महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में सभी ब्रांच में महिला स्टाफ की खासी तादाद मौजूद है। इसके बावजूद तकनीकी शिक्षा विभाग और राज्य सरकार ने कभी इस कॉलेज में महिलाओं को सर्वोच्च पद नहीं सौंपा है।

यह है स्टाफ का गणितब्रांच पुरुष महिला

कंप्यूटर साइंस 7- 7

आईटी 6 -1

इलेक्ट्रिकल 5 -1

इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल एंड 1 -

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग--

ऑर्टिफिशियल

इंटेलीजेंस 5 1

ह्म्म्यूनिटीजएंड साइंसेज 7 -10

मैकेनिकल 2 -

एमसीए 1 -

और यहां महिला को कमान...

अजमेर के बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज में 2017 के बाद से स्थाई प्राचार्य नहीं है। यहां पिछले साल डॉ. रेखा मेहरा को कार्यवाहक प्राचार्य बनाया गया। जबकि 24 साल पुराने इस कॉलेज में भी पुरुष ही प्राचार्य पद संभाल रहे थे। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रो. अजयसिंह जेठू के बाद कोई स्थाई प्राचार्य नहीं लगाया गया है। कार्यवाहकों के भरोसे कॉलेज चलाए जा रहेे हैं।