
certificate course in bird watching
रक्तिम तिवारी/अजमेर।
आपको पक्षियों को निहारने और उनके बारे में जानने की चाहत है, तो महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से कोर्स कर सकते हैं। राजस्थान पत्रिका के बर्ड फेर से प्रेरणा लेते हुए विश्वविद्यालय ने छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स इन बर्डिंग शुरू किया है। इसमें 12 अक्टूबर तक आवेदन किए जा सकेंगे।राजस्थान में यह पहली यूनिवर्सिटी होगी जिसने प्रवासी और देशी पक्षियों को लेकर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है।
राजस्थान पत्रिका और जिला प्रशासन ने जनवरी में 17 से 19 जनवरी तक बर्ड फेर का आयोजन किया था। इसकी कामयाबी के बाद विश्वविद्यालय ने पक्षी संरक्षण पर सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ का निर्णय लिया। बीती 27 सितम्बर को एकेडेमिक कौंसिल ने कोर्स को मंजूरी प्रदान की। इसे सर्टिफिकेट कोर्स इन बर्डिंग नाम दिया गया है। यह कोर्स अक्टूबर से मार्च तक चलेगा। पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने बताया कि कोर्स में 20 सीट रखी गई हैं। सामान्य अभ्यर्थियों के लिए 3300 और एससी, एसटी, महिलाओं के लिए 3100 रुपए फीस रखी गई है। 500 रुपए लाइब्रेरी शुल्क भी देय होगा।
पक्षी प्रेमियों के लिए उपयोगी
प्रो. माथुर ने बताया कि पक्षी प्रेमियों के लिए यह कोर्स बहुत उपयोगी होगा। कई लोग पक्षियों को निहारने के अलावा मोबाइल फोन और डिजिटल कैमरे से फोटोग्राफी करते हैं। कोर्स करने वाले विद्यार्थी पर्यावरण विज्ञान, फॉरेस्ट गार्ड, ईको टूरिज्म, पर्यावरण परामर्शी (कंसलटेंट) पक्षी विज्ञान क्षेत्र में कॅरियर बना सकेंगे।
अजमेर में आते हैं ये पक्षी
पत्रिका के बर्ड फेर के दौरान आमजन, विद्यार्थियों, शोधार्थियों और अधिकारियों को प्रवासी पक्षियों को जानने और निहारने का अवसर मिला। यहां कॉमन टील, रफ, लिटिल स्टैंड, लिटिल ग्रीन हैरोन, थ्रोटेड किंगफिशर, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, स्मॉल कैरोमेन्ट, इंडियन कैरोमेन्ट, लार्ज ई-ग्रेट, इंटर मिडिएट ई-ग्रेट, लिटिल ई-ग्रेट, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, कॉमन स्नाइप, ब्ल्यू रॉक पिजन और अन्य पक्षी चिह्नित किए गए। जिले किशनगढ़ के गुंदोलाव, अजमेर के आनासागर और फायसागर झील, ब्यावर के बिचड़ली तालाब, सावर-नापाखेड़ा पर बनास नदी और अन्य क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी आते हैं।
Published on:
05 Oct 2017 08:11 am
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