
mds univeristy ajmer
अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mds university) प्रदेश का पिछड़ा उच्च शिक्षा संस्थान है। 32 साल बाद भी यहां अंगुलियों पर गिनने लायक शिक्षक हैं। कई अहम शैक्षिक विभाग नहीं खुल पाए हैं। विद्यार्थियों के मामले में निजी स्कूल भी विश्वविद्यालय से आगे हैं। इतने दयनीय हालात के बावजूद सरकार, राजभवन और खुद विश्वविद्यालय फिक्रमंद नजर नहीं आ रहे हैं।
1 अगस्त 1987 को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। विभागवार शिक्षकों के मामले में विश्वविद्यालय की शुरुआत से दयनीय स्थिति है। यहां 1990-91 में बॉटनी, जूलॉजी, राजनीति विज्ञान और कुछ विषयों में शिक्षकों की भर्ती हुई। इसके बाद 1993-94, 1997-98 में कॉमर्स, मैनेजमेंट और अन्य विषयों में शिक्षक आए। 2005-06 में कंप्यूटर विभाग में दो शिक्षकों की भर्ती हुई, पर वे छोडकऱ चले गए। इसके बाद 2017 में जूलॉजी और बॉटनी में प्रोफेसर की नियुक्ति हुई है।
गिनती लायक शिक्षक
विश्वविद्यालय ने साल 2016 में विभागवार 22 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन मांगे थे। इनमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और अन्य संकाय के विषय शामिल हैं। विश्वविद्यालय ने सिर्फ जूलॉजी और बॉटनी विभाग में प्रोफेसर की भर्ती की है। विश्वविद्यालय मात्र 18 शिक्षकों के भरोसे संचालित है। इनमें से एक शिक्षक बीते साल अक्टूबर से निलंबित है। इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, कम्प्यूटर विज्ञान, जूलॉजी, बॉटनी विभाग में मात्र एक-एक शिक्षक हैं। जबकि पत्रकारिता, विधि, हिन्दी विभाग में तो शिक्षक भर्ती का मुर्हूत ही नहीं निकला है।
नहीं हैं कई अहम विभाग
राजस्थान विश्वविद्यालय, (Rajasthan University ), जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर (Jai Narayan Vyas University), एम.एल.सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर (MLSU) के बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। लेकिन यहां कई अहम शैक्षिक विभाग नहीं है। खासतौर पर अंग्रेजी, राजस्थानी, गणित, फिजिक्स, विदेशी और भारतीय भाषाओं के विभाग नहीं खुल पाए हैं। अजमेर और अन्य जिलों के विद्यार्थियों को यह पढऩे के ज्यादा मौके नहीं मिल रहे हैं।
नामचीन संस्थान से नहीं एमओयू
शैक्षिक गुणवत्ता के राज्य के कई विश्वविद्यालयों ने देश के नामचीन संस्थानों से एमओयू किया है। इनमें आईआईएम, आईआईटी और अन्य संस्थाएं शामिल हैं। विश्वविद्यालयों और विद्यार्थियों को शैक्षिक आदान-प्रदान, रोजगारोन्मुखी कोर्स और अन्य में इसका फायदा मिल रहा है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का किसी संस्थान से एमओयू नहीं है। यह अजमेर तक ही सिमटा हुआ है।
ग्रेडिंग में भी पीछे
यूजीसी ने विश्वविद्यालय को बी डबल प्लस ग्रेड प्रदान की है। इसे ए या ए प्लस ग्रेडिंग नहीं मिलने की एकमात्र वजह शिक्षकों कमी है। नैक टीम ने विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती को जरूरी बताया है। शिक्षकों की कमी के चलते ही विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 1 हजार से 1200 तक सिमटी हुई है।
कुलपति के बगैर संचालित...
सरकार और राजभवन के लिए यह विश्वविद्यालय खास नहीं है। इसका अंदाज कुलपति पद से लगाया जा सकता है। राजस्थान हाईकोर्ट ने कुलपति के कामकाज पर 11 अक्टूबर 2018 से रोक लगाई हुई है। विश्वविद्यालय में शैक्षिक, प्रशासनिक भर्तियां, दीक्षान्त समारोह, शोध और अन्य कार्य ठप हैं। डीन कमेटी महज औपचारिकता के लिए गठित की गई है।
Published on:
22 Jun 2019 06:33 am
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