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mdsu ajmer: हिंदी पहले ही बदहाल, नहीं खोल पाए देवनागरी लिपि विभाग

mdsu ajmer:साल 2017 में देशभर के विश्वविद्यालयों से आवेदन लिए गए। इनमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय भी शामिल था।

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devnagari dept in mdsu

devnagari dept in mdsu

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में देवनागरी लिपि विभाग (devnagari dept) नहीं खुल पाया है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय से प्रस्ताव मांगा था। लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया है। यूजीसी से विश्वविद्यालय को भी कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

देश में स्थानीय, प्रादेशिक स्तर पर कई बोलियां प्रचलित हैं। कई बोलियां ऐसी हैं, जिनकी कोई तयशुदा लिपि नहीं है। यह स्थानीय जरूरत और परस्पर बातचीत का माध्यम हैं। अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के चलते वक्त के साथ कई प्राचीन बोलियां लुप्त हो रही हैं। यूजीसी (univeristy grants commission) ने बोलियों के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालयों में देवनागरी लिपि विभाग खोलने की योजना बनाई। साल 2017 में देशभर के विश्वविद्यालयों से आवेदन लिए गए। इनमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) भी शामिल था।

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नहीं हुआ कोई फैसला

सभी केंद्रीय (central university), राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों (state university), और इनके समकक्ष संस्थानों (institute) में देवनागरी लिपि विभाग स्थापित होना है। लेकिन यूजीसी ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के मामले में कोई फैसला नहीं किया है। देवनागरी लिपि विभाग में उन बोलियों को संरक्षित किया जाएगा, जिनकी कोई निर्धारित लिपि नहीं है। मालूम हो कि देश में मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाडी, खैसरी, गमती, निमाड़ी, बंजारी, धंधुरी, भोजपुरी, मैथिली और अन्य बोलियां प्रचलित हैं।

हिन्दी का आधार है देवनागरी
देवनागरी लिपि मूलत: हिन्दी भाषा (hindi language) का आधार है। यह बहुत विस्तृत और प्राचीन लिपि है। हिन्दी भाषा को समृद्ध और वैश्विक (world wide)बनाने में इसका अहम योगदान है। देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग हैं। ऐसे में यूजीसी ने देवनागरी लिपि विभाग के माध्यम से स्थानीय, क्षेत्रीय और प्रादेशिक बोलियों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।

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यहां तो हिंदी विभाग भी बदहाल..

विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 में खुले हिंदी विभाग (dept of hindi) की स्थिति दयनीय है। विभाग में कोई स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉलेज से सेवानिवृत्त शिक्षकों के भरोसे कामकाज संचालित है। विश्वविद्यालय ने सरकार से हिंदी विभाग के लिए शिक्षकों के पद भी नहीं मांगे हैं।

फैक्ट फाइल..
देश में उच्च शिक्षण संस्थान

राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी-784
केंद्रीय विश्वविद्यालय-47

कॉलेज-40-45 हजार
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी-22

अध्ययनरत विद्यार्थी-6.5 करोड़
(स्त्रोत-यूजीसी)


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