
mdsu research entrace test
रक्तिम तिवारी/अजमेर
भले ही पत्रकारिता (Journalism), चार्टर्ड एकाउन्टेंट (C.A), कम्पनी सचिव (C.S) कॅरियर के लिहाज से अच्छे हों पर इनमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से पीएचडी (PHD) नहीं कर पाएंगे। अव्वल तो सीए-सीएस और पत्रकारिता को विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) ने शोध पात्रता परीक्षा में शामिल नहीं किया है। तिस पर निययों में सीए-सीएस को स्नातकोत्तर (PG) विषयों के समकक्ष मानने को लेकर विरोधाभास कायम है।
विश्वविद्यालय ने 2010-11 से शोध पात्रता परीक्षा (रेट) कराना शुरू किया है। परीक्षा में जर्नलिज्म, चार्टर्ड एकाउन्टेंट, कम्पनी सचिव विषय को पीएचडी की परीक्षा में कभी शामिल नहीं किया है। साथ ही विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में इनके पीएचडी गाइड (phd guide) भी उपलब्ध नहीं है।
अन्तर संकाय पीएचडी भी नहीं
नियमानुसार किसी विषय विशेष के शोध पात्रता परीक्षा (reaseach entrance test) में शामिल नहीं होनेपर विद्यार्थियों को अन्तर संकाय (इन्टर डिस्पलेनिरी) में पीएचडी कराई जाती है। प्रबंध अध्ययन, कॉमर्स, सामाजिक विज्ञान और अन्य संकाय में कॉस्ट एन्ड एकाउंटेंसी, कम्प्यूटर, बिजनेस मैनेजमेंट सहित सीए-सीएस से जुड़े कई विषय शामिल हैं। इसके बावजूद इन विषयों (subjects) को शोध पात्रता परीक्षा में शामिल नहीं किया गया है।
डिग्री पर विरोधाभास की स्थिति
सीए-सीएस को शोध पात्रता परीक्षा में विषय/संकाय (subject and faculty) मानने को लेकर विश्वविद्यालय ने कोई फैसला नहीं लिया है। सीए-सीएस कोर्स में प्रवेश के लिए फाउन्डेशन परीक्षा (सीपीटी) होती है। इसमें बारहवीं में शामिल या उत्तीर्ण विद्यार्थी (12th pass students) बैठते हैं। इसके आधार पर वे विभिन्न ग्रुप क्लीयर कर चार्टर्ड एकाउन्टेंट अथवा कम्पनी सचिव बनते हैं। इसे स्नातकोत्तर डिग्री (PG Degree) माना जाए या नहीं इसको लेकर पेच कायम है।
यह विवि कराते हैं पीएचडी (जर्नलिज्म, सीए-सीएस को)
मुम्बई यूनिवर्सिटी, भावनगर यूनिवर्सिटी, मदुराई कामराज यूनिवर्सिटी, संभलपुर यूूनिवर्सिटी, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ईटानगर, बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, एम. एल. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर, सरदार पटेल यूनिवर्सिटी गुजरात, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक, नागपुर यूनिवर्सिटी, मैसूर यूनिवर्सिटी, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्य
देश में कई विश्वविद्यालय सीए-सीएस कर चुके अभ्यर्थियों को पीएचडी कराते हैं। यह डिग्री स्नातकोत्तर के समकक्ष मानी जाती है। मदस विश्वविद्यालय को भी इस पर विचार करना चाहिए।
डॉ. एम. एल. अग्रवाल, प्राचार्य एसपीसी-जीसीए
Published on:
08 Aug 2019 07:14 am
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