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MDSU AJMER: यूनिवर्सिटी बदहाल, नए कुलपति के सामने कई चुनौतियां

locationअजमेरPublished: Oct 31, 2021 06:03:29 pm

Submitted by:

raktim tiwari

कैंपस में गिनती लायक और विद्यार्थी हैं। इसके अलावा प्रशासनिक ढर्रा भी स्टाफ की कमी से चरमरा रहा है। इसको देखते हुए उन्हें कई मोर्चों पर नवाचार करने होंगे।

PROF  Anil kumar shukla

PROF Anil kumar shukla

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के नव नियुक्त कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला को कई चुनौतियों से जूझना होगा। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध में विवि जबरदस्त पिछड़ा हुआ है। कैंपस में गिनती लायक और विद्यार्थी हैं। इसके अलावा प्रशासनिक ढर्रा भी स्टाफ की कमी से चरमरा रहा है। इसको देखते हुए उन्हें कई मोर्चों पर नवाचार करने होंगे।
कैंपस में महज 17 शिक्षक
शिक्षकों की कमी बनी हुई है। विश्वविद्यालय में कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, विधि, पत्रकारिता और अन्य संकाय संचालित हैं। फिलहाल 17 स्थाई शिक्षक कायर्रत हैं। इनमें 15 प्रोफेसर और 2 रीडर शामिल हैं।
1 हजार से कम विद्यार्थी
कैंपस के पीजी और यूजी-सर्टिफिकेट कोर्स में 1 हजार विद्यार्थी भी नहीं हैं। भूगोल, फिजिक्स, डिजास्टर मैनेजमेंट, पर्यावरण लॉ, म्यूजिक, मास्टर ऑफ सोशल वर्क, टेक्सटाइल डिजाइन, बैचलर ऑफ एज्यूकेशन, बैचलर और मास्टर ऑफ फाइन आट्र्स, एमबीए बिजनेस इकोनॉमिक्स और अन्य कोर्स में लगातार दूसरे सत्र में प्रवेश नहीं हुए हैं।
विधायक-सदस्यों के पद रिक्त
बॉम में दोनों विधायकों के पद रिक्त हैं। कुलपति द्वारा नामित डीन प्रो. नगेंद्र सिंह, प्रो. शिवदयाल सिंह और प्रो. सुब्रतो दत्ता का बतौर सदस्य कार्यकाल खत्म हो चुका है।

ना अधिकारी ना स्टाफ पर्याप्त
विवि में महज एक उप कुलसचिव और 3 सहायक कुलसचिव कार्यरत हैं। सहायक कुलसचिव प्रतीक शर्मा दो साल से राजभवन में प्रतिनियुक्ति पर है। मंत्रालयिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या करीब 250 के आसपास है। परीक्षा, गोपनीय, एकेडेमिक और अन्य अहम विभागों में लगातार सेवानिवृत्तियों से कार्मिकों पर अतिरिक्त कामकाज का बोझ बढ़ रहा है।
उत्कृष्ट शोध में पिछड़ा विवि
विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट शोध में पिछड़ा हुआ है। 1987 से अब तक हुए शोध में ज्यादातर विश्व स्तरीय श्रेणी में नहीं हैं। विवि के किसी शोध को अंतर्राष्ट्रीय अथवा राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी का हिस्सा नहीं बनाया गया है।
ना फॉर्म ना परीक्षाएं समय पर
विवि परीक्षा फॉर्म कभी भी समय पर नहीं भरवा पाया है। पत्रावलियों पर अनावश्यक टिप्पणियां, कथित तौर पर पसंदीदा तकनीकी फर्मों को कामकाज सौंपने की प्रवृत्ति हावी रही है। पूर्व कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी ने पहली बार प्रश्न पत्रों की प्रिंटिंग में गोपनीय टेंडर कर नवाचार किया। कोरोना संक्रमण के कारण परीक्षाएं विलंब से हो रही हैं।
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