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आप भी पढ़ें आखिर क्यों लिया चिकित्सा विभाग ने किया ये बड़ा फैसला

सोनोग्राफी मशीनों पर शिकंजा कसने के बाद अब पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीनों पर भी नजर रखी जा रही है।

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चन्द्रप्रकाश जोशी. अजमेर .

सोनोग्राफी मशीनों पर शिकंजा कसने के बाद अब पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीनों पर भी नजर रखी जा रही है। नए आदेश के तहत पोर्टेबल मशीन का उपयोग सिर्फ अस्पताल में भर्ती मरीजों (इंडोर) के लिए ही किया जा सकेगा। बाह्य मरीजों (आउटडोर) के लिए इनका उपयोग नहीं किया सकेगा।
गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 (पीसीपीएनडीटी) के तहत पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन (सुबाह्य अल्ट्रासाउंड मशीन) किसी तरह का दुरुपयोग रोकने के लिए मकसद से यह आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के बाद अब तक पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन का उपयोग बाह्य रोगियों की जांच के लिए किया जाने से इससे गड़बड़ी की भी आशंका रहती है।

इस स्थिति में इजाजत

-परिसर के भीतर प्रयोग की जाने वाली पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन को आवासी रोगी को सेवाएं प्रदान करने लिए पंजीकृत किया गया है।
-सचल चिकित्सा इकाई के भाग के रूप में, अन्य स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं की प्रचुरता प्रदान करने के लिए ही इसके उपयोग की अनुमति की गई है। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में है मशीनेंपोर्टेबल सोनोग्राफी मशीनें जिले के सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध हैं। जेएलएन अस्पताल, किशनगढ़ के वाईएन अस्पताल सहित कुछ प्राइवेट अस्पतालों में पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध है। इनमें से अधिकांश मशीनें नब्बे के दशक की हैं। पीसीपीएनडीटी के जिला समन्वयक ओ.पी. टेपण के अनुसार इस संबंध में संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

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जोधपुर . राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) की ओर से आरएएस एवं एलाइड सर्विसेज भर्ती 2016 के तहत राजस्थान एक्साइज सबऑर्डिनेट सर्विसेज में विभागीय श्रेणी में एक पद रिक्त रखने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने आरपीएससी व सचिव डीओपी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

जोधपुर निवासी राणूसिंह की याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुशील सोलंकी का तर्क रहा कि भर्ती में परीक्षा व साक्षात्कार के बाद 16 फरवरी 2016 को मेरिट सूची जारी की गई। इसमें याची पांचवें नंबर पर था। विज्ञापन की शर्त के अनुसार इसके लिए 5 साल का अनुभव आवश्यक था, जबकि प्रथम तीन अभ्यर्थी इस शर्त को पूरा नहीं करते। अत: दूसरा नाम याची का होना चाहिए। हाईकोर्ट ने उक्त श्रेणी में एक पद रिक्त रखने के आदेश दिए हैं।