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राजस्थान विधानसभा : सरकारी दुकानों पर उपलब्ध नहीं गंभीर रोगों की दवाइयां

Rajasthan Assembly : अजमेर उत्तर विस क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रदेश के पेंशनर्स को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाइयां सरकारी दवा की दुकानों पर उपलब्ध नहीं होने से उनको हो रही परेशानियों का मामला राजस्थान विधानसभा में उठाया।

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अजमेर

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Preeti Bhatt

Jul 12, 2019

dangerous disease in mp : ended medicines

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पेंशनर्स को दवाइयां नहीं मिलने का मामला उठा विधान सभा rajasthan assembly budget session में


अजमेर. अजमेर उत्तर विस क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रदेश के पेंशनर्स को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाइयां सरकारी दवा की दुकानों पर उपलब्ध नहीं होने से उनको हो रही परेशानियों का मामला राजस्थान विधानसभा में उठाया। देवनानी (Vasudev Devanani)ने स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से यह मामला उठाते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग 8 लाख सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं जिनमें में से प्रतिमाह कई कर्मचारी सेवानिवृत होते हैं।

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इस प्रकार प्रदेश में बड़ी संख्या में पेंशनर्स (Pensioners)हैं जिनमें से कई बुजुर्ग पेंशनर्स श्वास रोग, डायबिटीज, किडनी, हृदय, कैंसर जैसे गंभीर रोगों से पीडि़त हैं तथा इन बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाइयां भी बहुत महंगी होती है। पेंशनर्स को सबसे पहले इलाज के लिए चिकित्सक की ओर से लिखी गई दवाइयां लेने के लिए कॉनफैड अथवा सहकारी उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर जाकर लाइन में खड़ा होना पड़ता है। वहां पर उन्हें आधी-अधूरी दवाइयां मिल पाती है। फि र वहां से एनओसी लेकर मजबूरन निजी दुकानों से दवाइयां खरीदनी पड़ती है। अकेले जयपुर में पेंशनर्स के 80 करोड़ के बिल अटके होने के साथ ही प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी लाखों,करोड़ों की राशि के बिल अटके हुए हैं।

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देवनानी ने कहा कि जिस पेंशनर्स ने राजकीय सेवा में रहते हुए सेवानिवृत्ति बाद चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने के लिए प्रतिमाह अपने वेतन से राजस्थान पेंशनर्स मेडिकल रिलीफ फ ण्ड में अंशदान के रूप में राशि कटवाई आज उसे उम्र के इस पड़ाव में दवाइयों के लिए परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेंशनर्स मेडिकल फ ण्ड में राशि कम होती जा रही है क्यों कि वर्ष 2004 से न्यू पेंशन स्कीम (New pension scheme)लागू होने से उसके बाद सेवा में आए राज्य कर्मचारियों से इस फण्ड की कटौती नहीं की जाती तथा 2004 से पूर्व नियोजित कर्मचारियों की लगातार होने वाली सेवानिवृति से फ ण्ड में कमी होती जा रही है।

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