
जलाशय में कलरव करते परदेसी परिंदे
अजमेर. सांभर झील (sambhar nake) में प्रवासी पक्षियों की संदिग्ध हालातों में मौत को लेकर अजमेर का जिला प्रशासन सक्रिय है। वैसे अजमेर जिले(ajmer didtic) के प्रमुख जलाशयों में परदेसी परिंदों का आना शुरू हो गया है। ऐसे पक्षियों (birds) की कलरव सुनाई देने लगी है। जयपुर व नागौर सीमा में फैली सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत मामले में यह साफ हो गया कि बर्ड फ्लू का खतरा नहीं है। अजमेर की डीएफओ सुदीप कौर ने विभागीय टीम के साथ रूपनगढ़ उपखंड (rupangar sub-division) के आऊ क्षेत्र में झाील व समीप की तलाई व अन्य जलाशयों में पक्षियों की गतिविधियां देखी। झील क्षेत्र में बीमार पक्षी नोथेर्रन सॉवर का रूपनगढ़ के राजकीय पशु चिकित्सालय में उपचार कराया गया। डॉ. के. के. सोनी के अनुसार यह पक्षी (birds) सामान्य बीमारी से पीडि़त थे। वनपाल कैलाश मीणा, एआरओ गंगाराम चौधरी, वनरक्षक महेश श्रीवास्तव, शेरसिंह जोधा सहित अन्य कार्मिकों ने चार मृत पक्षियों का पोस्टमार्टम कर इन्हें वनचौकी के पीछे दफनाया।
अजमेर स्थित आनासागर और अन्य जलाशयों में प्रवासी पक्षियों की आवक हुई है, लेकिन यहां के पर्यावरणविदें ने सांभर झील मामले को फिलहाल बर्ड फ्लू अथवा पर्यावरणीय प्रभाव नहीं माना है। पक्षी जानकारों के अनुसार अजमेर में प्रवासी पक्षियों का व्यवहार सामान्य है।
सांभर झील (sambhar lake) में प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला देश-दुनिया में चर्चा में हैं। इसको लेकर केंद्र और राज्य स्तरीय टीम, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् अध्ययन में जुटे हैं। अजमेर में भी आनासागर, फायसागर, किशनगढ़ की गुंदोलाव झील और अन्य जलाशयों में प्रवासी पक्षी आए हैं।
रसायन-अपशिष्ट भी संभव!
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. के.के. शर्मा की मानें तो वायुमंडल में बदलाव,प्रदूषण बढऩे व पक्षियों की स्वाभाविक गतिविधियों में कोलाहल से खलल सहित अन्य वजह से प्रवासी पक्षी असहज हो सकते हैं। वैसे जलाशयों में विदेशी परिंदों के लिए शिकार की कमी नहीं है। मदस विवि,अजमेर के पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने बताया कि सांभर झील (sambhar lake) में बड़े पैमाने पर नमक उत्पादन होता है। वैज्ञानिक और जांच दल प्रवासी पक्षियों की मृत्यु के फिलहाल कारण ढूंढ रहे हैं। वे आसपास के इलाके में नमक और अन्य कृषि उत्पाद में प्रयुक्त होने वाले रसायन-अपशिष्ट का अध्ययन कर रहे हैं। संभवत: प्रवासी पक्षी इन्हीं अपशिष्ट-रसायन से प्रभावित हुए हैं।
बर्ड फ्लू की आशंका नहीं
बर्ड फ्लू जैसा मामला फिलहाल सामने नहीं आया है। प्रवासी पक्षी प्रतिवर्ष हजारों मील दूर साइबेरिया, रूस और अन्य देशों से भारत पहुंचते हैं। यहां खासतौर पर नवंबर से मार्च तक मौसम इनके लिए मुफीद होता है। पिछले दस वर्षों में भी प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू का मामला सामने नहीं आया है।
अजमेर में पक्षियों (birds) की कलरव
विश्वविद्यालय टीम, पक्षीविदें और पर्यावरण विशेषज्ञों ने बीते दो-तीन साल में अजमेर में आए प्रवासी पक्षियों के व्यवहार के अध्ययन से पता चला है कि यहां पक्षियों को नम भूमि और आसपास के जलाशयों में आसानी से खाद्य पदार्थ उपलब्ध है। इनमें सागर विहार कॉलोनी से सटा उथला क्षेत्र, पुष्कर रोड-विश्राम स्थली, गौरव पथ-क्रिश्चयनगंज इलाका शामिल है। पक्षियों में बीमारी के लक्षण भी सामने नहीं आए हैं।
Published on:
16 Nov 2019 10:17 pm
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