अजमेर.
शीतलहर और कड़ाके की सर्दी लोगों की धूजणी छुड़ा रही है। शनिवार को दिनभर तीखी धूप के बाद भी सर्दी के बर्फीले तेवर बने रहे। सिर से पैर तक ऊनी कपड़ों में लिपटने के बावजूद लोगों को राहत नहीं मिली। लोग घरों में हीटर और सड़कों-दुकानों के बाहर अलाव जलाकर कड़ाके की ठंड से राहत पाते दिखे। न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस रहा। दो दिन में तापमान में 2.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान फसलों के पत्तों पर बर्फ जमी नजर आई।
सुबह कोहरा पहाड़ों पर मंडराता नजर आया। सूरज ने सुनहरी धूप बिखेरी, लेकिन बर्फीली हवाओं ने सिहरा दिया। धूप में बैठने के बावजूद लोगों को शीतलहर से राहत नहीं मिली। देर शाम ठंड ने फिर जकड़ लिया। अधिकतम तापमान 25.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
हीटर और अलाव से राहत
ठंड में हीटर और अलाव लोगों का सहारा बने हुए हैं। शहर में जयपुर रोड, वैशाली नगर स्टेशन रोड, बजरंगगढ़ चौराहा, कचहरी रोड, मदार गेट और अन्य जगह लोग अलाव जलाकर सर्दी से राहत पाते दिखे।
सब्जियों के चारों ओर बनाई कपड़े की दीवार
शीतलहर एवं पाला से खेतों में लहलहा रही सब्जियों व अन्य नाजुक फसलों को बचाने के लिए किसान ने ‘लक्ष्मण रेखा’ खींच दी। खासकर सब्जी की फसलों को बचाने के लिए सफेद कपड़े मेड पर लगाकर शीतलहर को रोकने का प्रयास किया। वहीं शाम ढलने से पहले खेतों में सिंचाई की जा रही है। यही वजह है कि फसलें सुरक्षित हैं और उत्पादन भी कम नहीं हुआ है।
जिले में पिछले सप्ताह से पाला एवं शीतलहर का प्रकोप फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। किसान अपने तरीके से फसलों को बचाने का जतन कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक भी किसानों को गाइड लाइन जारी कर बचाव के घरेलू नुस्खे बता रहे हैं। सरवाड़ के ग्राम माधोपुर निवासी किसान नाथूलाल प्रजापत ने टमाटर एवं बैंगन की फसल को पाले से बचाव के लिए फसल के चारों तरफ कपड़े से बाउंड्री एवं सिंचाई की है।
उसने फसल को बचाने के लिए खेते के चारों ओर सफेद कपड़े की दीवार तैयार कर दी। कपड़े के थान में से चार दीवारी की तरह बल्लियों के सहारे कपड़़े की मेड बना दी। इसी तरह डूमाड़ा, नदी प्रथम सहित अन्य गांवों में भी किसानों ने फसल को बचाने के जतन किए हैं।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
पपीते, टमाटर, मिर्च, बैंगन नर्सरी पर पाले का असर बहुत अधिक होता है। किसान खेतों के चारों ओर विशेष तौर से उत्तर पश्चिमी दिशा की मेड़ पर अवरोधक दीवार या करोंदा आदि झाड़ियों की बाड़ लगाकर फसल को सुरक्षा के साथ ही शीतलहर से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। पाला पड़ने की संभावनाओं को देखते हुए किसान खेत में हल्की सिंचाई अवश्य कर दें। इससे भूमि का तापमान 2 से 5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़़ जाएगा एवं पाले से फसलों का बचाव होगा।
डॉ. रमाकांत शर्मा, प्रसार वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, अजमेर