
yogendra singh yadav
अजमेर परमवीर चक्र (param veer chakra) विजेता योगेंद्र सिंह यादव (yogendra singh yadav) ने कहा कि मजबूत इरादे और हौसला हो तो व्यक्ति जिंदगी की कोई भी जंग जीत सकता है। इसका एहसास मुझे करगिल युद्ध (kargil war ) के दौरान हुआ। थकान और दुश्मन की गोलियों का मुकाबल करते हुए भी हम डटे रहे और विजय हासिल की। यादव ने यह बात मेयो कॉलेज (mayo college ajmer) में आयोजित कार्यक्रम में कही।
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योगेंद्र ने कहा कि 18 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल (tiger hill) पर चढऩा आसान नहीं है। सौ फीट से ज्यादा खड़ी चढ़ाई करते ही थकान होती है। लेकिन 1999 में करगिल युद्ध (war of kargil) के दौरान हमें पीछे आती टुकडिय़ें के लिए रस्सियों को बांधना था। लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही पाकिस्तानी (pakistan) सैनिकानें ने गोलाबारी शुरू कर दी। मेरे सहित कई साथियों को गोली लगी। फिर भी हमने हौसला नहीं खोया।
15 गोलियां, टूटा हाथ...
छात्रों को जज्बे और हौसले की सीख देते हुए यादव ने कहा कि करगिल में दूसरे बंकर (bunkers) के समीप दुश्मन सैनिकों पर गोलियां बरसा (gun firing) रहे थे। मैंने ग्रेनेड (granade) फेंककर पाक सैनिकों को मौत की नींद सुलाया। हाथ टूटने और शरीर में 15 गोलियां लगने के बावजूद मैंने दुश्मन को ललकारा। टूटे हाथ को बेल्ट (belt) से बांधकर अंतिम बंकर पर फतह पाई। जीवन में मजबूत इरादा और दृढ़ इच्छा शक्ति ही हमें आगे बढ़ाती है।
मातृभूमि की रक्षा सर्वोपरी
यादव ने छात्रों को बताया कि प्रत्येक भारतीय को मातृभूमि (mother land) की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। खासतौर पर छात्रों (students) और युवाओं (youth) के लिए सैन्य सेवा बेहतरीन अवसर है। मालूम हो कि यादव सेना के 18 ग्रेनेडियर्स (18 granadiers) में कार्यरत थे। उनके पिता करण सिंह यादव भी कुमाऊं रेजीमेंट (kumaun regiment) में सेवाएं दे चुके हैं। योगेंद्र ने 4 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध के दौरान अदम्य साहस दिखाया था। इनकी शूरवीरता पर सरकार ने परमवीर चक्र से नवाजा था।
Published on:
18 Aug 2019 07:15 am
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