7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नाचन बावड़ी : जल संकट दूर करने में साबित हो सकती है महत्वपूर्ण कड़ी

उपेक्षा के शिखार पुरामहत्व के ऐतिहासिक जल स्रोत को संरक्षण की दरकार  

2 min read
Google source verification
Nachan Bawdi- Victim of neglegency

नाचन बावड़ी : जल संकट दूर करने में साबित हो सकती है महत्वपूर्ण कड़ी

बलजीतसिंह. अजमेर. परंपरागत जल स्रोतों की अनदेखी और दुर्दशा देखनी हो तो अजमेर आ जाइए। किसी समय जल संरक्षण के दृष्टिकोण से समृद्ध रहे अजमेर में झील, कुएं, तालाब और ऐतिहासिक बावडिय़ां उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। जबकि यही जलाशय किसी समय लोगों की प्यास बुझाने का प्रमुख जरिया हुआ करते थे। वर्षा जल से लबालब रहने वाले इन परंपरागत जल स्रोतों का सूखा, अकाल और अल्पवृष्टि की स्थिति में बहुत महत्व हुआ करता था। पहले लोग भू-जल स्तर और जल स्रोतों के विषय में बहुत संवेदनशील हुआ करते। इसीलिए इन जल स्रोतों की देखरेख बखूबी करते थे बल्कि उन्हें संवार कर रखा करते थे। लेकिन जब से अजमेर के लोगों को बीसलपुर बांध से पानी सहज-सुलभ होने लगा लोगों ने न केवल इन स्रोतों को बिसरा दिया बल्कि बेकद्री भी शुरू कर दी। इसी तरह की उपेक्षा की शिकार है ऐतिहासिक बावड़ी है नाचन बावड़ी। अजमेर-जयपुर राजमार्ग पर गेगल के नजदीक अशोक उद्यान परिसर में स्थित इस बावड़ी के पीछे भी एक इतिहास है।

नाचन बावड़ी का निर्माण मुगलकाल में हुआ था। जब ये बावड़ी बनी थी तो लोग इसका निर्माण पूर्ण होने पर नाच उठे थे। इसीलिए इसे नाचन बावड़ी का नाम दिया गया। यह बावड़ी स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है। ये अलग बात है कि इस बावड़ी में अब नाममात्र को भी पानी नहीं है लेकिन यह उस समय के जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्य का अद्भुत नमूना है। पुरातात्विक महत्त्व की इस बावड़ी में पानी तक पहुंचने के लिए सीढिय़ां बनी हुई हैं। लेकिन पिछले कई सालों से ये सूखी पड़ी है।

वर्ष-२०१५ में अशोक उद्यान के लोकापर्ण के समय इसकी सुध ली गई। अशोक उद्यान परिसर में होने से यहां घूमने आने वालों के साथ बावड़ी में किसी के गिरने की घटना न हो इसके लिए सुरक्षार्थ ग्रिल लगाई गई। पास ही स्थित एआरजी सिटी प्रबंधन ने अपने यहां लगाए गए वर्षा जल संग्रहण के ढांचे से पाइप के जरिए बरसात का पानी पहुंचाने के लिए व्यवस्था भी की। लेकिन पिछले साल कमजोर मानसून के कारण पर्याप्त वर्षा के अभाव में बावड़ी तक पानी नहीं पहुंचा। अलबत्ता बावड़ी में जितना पानी पहुंचा उससे कीचड़ और हो गया।

समय के साथ कम वर्षा और भू-जल स्तर गिरने से ये बावड़ी पूरी तरह सूख चुकी है। लेकिन श्रमदान कर इसे गहरा करवाया जा सकता है। वर्षा जल संग्रहण से इससे पानी आने पर आस-पास के क्षेत्र के लोगों के लिए ये बावड़ी पानी का अच्छा स्रोत साबित हो सकती है। थोड़े से प्रयास से पुरामहत्व के इस जलस्रोत नाचन बावड़ी के स्वर्णिम दिन लौट सकते हैं।