scriptपच्चीस साल से यहां नहीं थमा छैनी-हथोड़ा | NARELI Gyanoday major religious place of Ajmer | Patrika News

पच्चीस साल से यहां नहीं थमा छैनी-हथोड़ा

locationअजमेरPublished: Jan 17, 2020 03:50:31 pm

Submitted by:

suresh bharti

महाअतिशयकारी ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र : आचार्य विद्यासागर के सान्निध्य में आदिनाथ जिनालय का पंचकल्याणक प्रस्तावित, -दो सौ बीघा क्षेत्र में फैले तीर्थक्षेत्र की पूर्व मुख्यमंत्री भैंरोसिह सिंह शखावत ने रखी थी आधारशिला, देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों के रूप में बनी पहचान

पच्चीस साल से यहां नहीं थमा छैनी-हथोड़ा

अजमेर के नारेली स्थित ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र का विहंगम दृश्य।

NARELI Gyanoday major religious place of Ajmer अजमेर. प्रदेश में एक तीर्थक्षेत्र ऐसा भी है, जहां बीते पच्चीस साल से छैनी-हथोड़ाथमा नहीं है। मतलब यहां किसी न किसी रूप से निर्माण कार्य जारी है। करीब दो सौ बीघा क्षेत्र में फैला यह स्थान कभी जंगल था। आज यहां दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख तीर्थक्षेत्र स्थापत्य कला, जैन संस्कृति और सामाजिक समरसता का केन्द्र बन गया है। वर्ष 1992-93 में इस तीर्थक्षेत्र की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री भैंरोसिंह शेखावत ने रखी थी। उसके बाद यहां की सपाट जमीन पर उद्यान, गोशाला, संत शाला, अतिथिगृह, जिन चैत्यालय, भोजनशाला व आदिनाथ जिनालय का निर्माण हुआ। वहीं पहाड़ी पर चौबीस तीर्थंकरों के जिनालय व कैलाश पर्वत सहित अन्य निर्माण कार्य आकर्षण का केन्द्र हैं।
आचार्य विद्यासागर की प्रतीक्षा, जगी उम्मीद

ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र स्थित आदिनाथ जिनालय का पंचकल्याणक होना शेष है। यहां की प्रबंधक समिति ने तय किया है कि संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागर के सान्निध्य में ही पंचकल्याणक होगा। पिछले १५ साल से आचार्य से विनती की जा रही है, लेकिन अभी स्वीकृति नहीं मिली है। जानकारों के अनुसार इन दिनों आचार्य इंदौर में हैं। इनका फरवरी माह में बिजोलिया (भीलवाड़ा) आने का कार्यक्रम है,जहां पंचकल्याणक होना है। ऐसे में उम्मीद है कि आचार्य अजमेर भी आ सकते हैं। आचार्य की मुनि दीक्षा 30 जून १९६८ को अजमेर स्थित सोनीजी की नसियां में हुई थी। आज भी फव्वारा सर्किल पर आचार्य की दीक्षा स्थली का स्मारक बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि भारतवर्ष में जैन समाज का सबसे बड़ा मुनि संघ आचार्य विद्यासागर का है।
प्रमुख तीर्थ स्थल की बनी पहचान

इस तीर्थक्षेत्र की स्थापना के पीछे मुनि सुधासागर की परिकल्पना रही है। आज यह उन्हीं की प्रेरणा से विशिष्ट पहचान बना चुका है। गौरतलब है कि ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र करौली जिले के श्रीमहावीरजी, अलवर जिले के तिजारा, जयपुर जिले के बाड़ा पदमपुरा, कोटा-बारां जिले के चांदखेड़ी, भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर व बिजोलिया तीर्थक्षेत्र की तरह प्रतिष्ठित हो गया है। ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र पर रोजाना करीब पांच हजार श्रद्धालु आ रहे हैं।
चैत्यालय में प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा

ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र की एक और विशेषता यह भी है कि प्रदेश के किसी भी जिनालय में यदि प्रतिमाओं की पूजा नहीं हो पा रही हों। भूगर्भ में मिली प्रतिमाओं को वेदी पर प्रतिष्ठित करने में दिक्कतें आ रही हो तो ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र के चैत्यालय में उसकी व्यवस्था है।
मुनि सुधासागर की प्रेरणा से इस चैत्यालय में ऐसी कई उपेक्षित जिनप्रतिमाओं को अभिषेक व पूजा-अर्चना कर वेदी पर विराजमान कराया गया है। यहां नियमित पूजा हो रही है।

पंचकल्याणक कराने का संकल्प
ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र का आचार्य विद्यासागर के हाथों पंचकल्याणक कराने का संकल्प है। डेढ़ दशक से गुरुवर से विनती की जा रही है,लेकिन उनकी अतिव्यस्तता के चलते संभव नहीं हो पा रहा है। उनके ससंघ बिजोलिया मंगल प्रवेश के बाद अजमेर आने की विनती की जाएगी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो