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अजमेर. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल (एनजीटी) जोन बेंच ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड को आना सागर झील में निर्माण के दौरान वेटलैंड नियमों का उलंघन नहीं करने तथा झील में निर्माण नहीं करने के साथ ही राजस्थान झील प्राधिकरण के नियमों की सख्ती पालना की हिदायद दी। एनजीटी ने यह निर्देश नगर परिषद के पूर्व सभापति और भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत की याचिका पर दिए। शेखावत ने एनजीटी के समक्ष आनासागर के भराव क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के नाम से हो रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने की गुहार की थी। शेखावत ने याचिका में कहा कि यह निर्माण कार्य ऐतिहासिक धरोहर आनासागर में अतिक्रमियों के दबाव में प्रशासन द्वारा करवाया जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी। शेखावत की ओर से अधिवक्ता राहुल चौधरी ने याचिका पेश की थी।
कमेटी करेगी जांच
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिए कि आनासागर क्षेत्र की परिधि में हो रहे निर्माण कार्यो की जांच के लिए समिति बनाई जाए जिसमें एमओईएफ एंड सीसी के प्रतिनिधि, सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के प्रतिनिधि, राज्य जलभूमि प्राधिकार के प्रतिनिधि व राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल किए जाए। कमेटी अपनी रिपोर्ट 6 सप्ताह में देनी होगी।
आनासागर का करना होगा सर्वेक्षण
समिति प्रतिनिधि ई-मेल के जरिए अपनी रिपोर्ट भेजेंगे साथ ही प्रतिनिधियों का दल आनासागर जाकर सर्वेक्षण करेगा और तथ्यात्मक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोन बैंक भोपाल को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। बेंच ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि सुरेंद्र सिंह शेखावत बाकी दस्तावेज समिति को सौंपेंगे।
इनका कहना है
सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि यह याचिका इसलिए भी दायर की गई थी। आनासागर अजमेर का एक दर्शनीय स्थल है, जिसे सौंदर्यकरण के नाम पर अतिक्रमण करके प्रशासन द्वारा छोटा किया जा रहा है। इससे अजमेर के नागरिकों में रोष है।
झील बनी व्यवासयिक गतिविधियों का अड्डा
झील में बनाए जा रहे पाथ वे के चलते अतिक्रमियों व भू-माफियाओं की बांछे खिल गई। झील के किनारे बड़ी संख्या में होटल व रेस्टोरेंट खोल लिए गए है। एडीए ने कई होटल व रेस्टोरेंट संचालकों को नोटिस दे रहे हैं लेकिन इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई। आनासागर की जमीन भू-माफियाओं और अतिक्रमियों को सौंपी जा रही है। झील क्षेत्र में करीब 100 अतिक्रमण है।
फैक्ट फाइल
ऐतिहासिक आनासागर झील का निर्माण सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पितामह आनाजी ने 1137 में करवाया था। झील के किनारे 1637 में शाहजहां ने इसके किनारे दौलतबाग का निर्माण करवाया गया। झील की लम्बाई 13 किमी है। इसकी गहराई 14.4 फुट है जहां 4.75 मिलियन घनाकार पानी को एकत्रित किया जा सकता है। झील में नाग पहाड़ व बांडी नदी से पानी आता है। यह झील पर्यटन के केन्द्र के साथ ही करोड़ों रुपए की कमाई भी नगर निगम व सिंचाई विभाग करते हैं। राष्ट्रीय झील संरक्षण मिशन के तहत 10 साल पूर्व 9 करोड़ खर्च कर आनासागर झील उद्धार के नाम पर इसमें से सैकड़ों डम्पर मिट्टी निकालकर इसे गहरा किया गया। अब पिछले कई महीनों से स्मार्ट सिटी के अभिंयता पाथ-वे के नाम पर आनासागर को मिट्टी व मलवा डालकर पाटने की मुहिम में जुटे हैं। अब स्मार्ट सिटी के तहत 38 करोड़ खर्च कर पाथवे के नाम पर आनासागर को पाट कर उसके मूल स्वरूप से ही खिलवाड़ किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के अभियंता आनासागर में मिट्टी डालकर अपनी और ठेकेदारों की जेबें भरने में लगे हुए है। राष्टीय झील संरक्षण मिशन के तहत आनासागर से 2 लाख 40 हजार घन मीटर मिट्टी निकाली गई थी। मिट्टी निकालने पर 3 करोड़ 20 लाख रूपए खर्च हुए थे। आनासागर जल ग्रहण क्षेत्र के लिए विकास के लिए वन विभाग द्वारा 206 हेक्टेयर भूमि में फेंसिंग तथा वनीकरण का कार्य किया गया जिसपर 84 लाख खर्च हुए। अब सैकड़ों डम्पर मिट्टी डालकर पाथवे बनाया जा रहा है तथा आनासा सागर की परिधी को छोटा किया जा रहा है।
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Published on:
24 Aug 2021 10:12 pm
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