
नो स्क्रीन आवर .....
उपेन्द्र शर्मा
अजमेर .अगर ऐसा कोई समय (कम से कम 3-4 घंटे का) आपके पास नहीं है तो यकीन मानिए कि आप गंभीर मानसिक रोगों की तरफ बढ़ रहे हैं और आपकी आंखें, कंधे, गर्दन, तंत्रिका व कान भी बहुत जल्द खराब होने वाले हैं। अगर यकीन नहीं हो तो भले ही आप खुद का मेडिकल चैक-अप मत करवाओ लेकिन वैसे ही आंख, कान, दिमाग, न्यूरो वाले चिकित्सकों के क्लिनिक्स में जाकर एक बार देखो तो सही। एक बार इन विषयों के चिकित्सकों ने बात तो करो। आपके दिमाग की नसें फट सकती हैं, हर 2-3 में से एक मरीज की बीमारी के पीछे का एक कारण स्मार्ट फोन है। स्माट फोन भी वो इन्स्ट्रूमेन्टल नहीं बल्कि दोष है उस पर बिताए समय का। यहां तक कि हजारों की संख्या में किशोर और युवा लूडो जैसे महारद्दी घरेलू से खेल को भी मोबाइल पर खेलने लग गए हैं।
स्मार्ट फोन खुद तो बहुत स्मार्ट है, लेकिन उसने हमारी बुद्धि को खा लिया है। विवेक उसके आने से पहले ही मर चुका था। जो नुकसान मानव शरीर को सिनेमा और टीवी नहीं कर सके (क्यूंकि इनका प्रयोग सीमित था) वो पहले कम्प्यूटर ने किया और अब स्मार्ट मोबाइल ने कर दिया है।एक बार के लिए उस समय को जोडकऱ देखिए जो किसी भी कारणवश आप स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर बिताते हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि एक-एक दो-दो मिनट को भी जोडऩे पर वो करीबन 3 से 5 घंटे हो रहे हैं। अब आप खुद समझ सकते हैं कि आपने कितना समय जाया किया या उपयोग में लिया।
दिन में न जाने कितनी बार टेक टोक के वीडियो, फिल्मी गाने, इधर-उधर के चैट शो, पाकिस्तानी टीवी एंकर, अजब-गजब, जंगल में भेडि़ए ने कैसे डराया शेर को या मगरमच्छ को कैसे खा गया टाइगर, चलती ट्रेन से कौन गिरा, पुलिस ने किसे बेरहमी से पीटा, घोड़ी का प्रसव और ना जाने क्या-क्या। पहले एक गेम आ गया था ब्ल्यू व्हेल और हाल ही आया पबजी। हम कितने चोटी के वज्र मूर्ख बन रहे हैं कि हमारे युवाओं ने इन गेम्स के चक्कर में आत्म हत्याएं तक कर लीं।
एक है पबजी....।
आपकी गर्दन को सीधी रख के खोपड़ी को भगवान ने बिनी किसी कोण के उस पर ठीक सीधा ही टिकाया है और वो भी पर्याप्त वांछित लचक (लोच) के साथ ताकि गर्दन पर न्यूनतम वजन रहे। मेडिकल साइंस के अनुसार केवल रीढ़ की हडड्डी के सीधी होने और गर्दन के इस मामूली बदलाव से ही मनुष्य पशुओं से अलग हो पाया है, अन्यथा सृष्टि की शुरुआत में मनुष्य भी चौपायों की तरह ही चलता था। लेकिन हम तो खुद आज के भगवान हैं। हमने अपनी गर्दन पर खोपड़ी जिसमें लगभग 3 किलोग्राम वजन है, उसको 30 से 180 डिग्री तक नीचे गिरा लिया है, ताकि पबजी खेल सकें। यह हमारे रक्त संचरण (ब्लड सर्कुलेशन) को बेहद धीमा कर देता है। यह बिना किसी यौगिक क्रिया के किया जाने वाले शीर्षासन है जो कभी भी लकवे का कारण बन सकता है। इसके अलावा जो भी युवा दिन में एक बार भी पबजी खेलता हो आप उससे बात करके देखिएगा आपको सहज ही पता लग जाएगा कि आप किसी मनोरोगी (इन मेकिंग) से मुखातिब हैं।
व्हाइट कॉलर को थोड़ी गंदी कर ही लो...।
बैंकिंग, मीडिया, दुकान, डॉक्टर्स, एकाउंटेसी, आईटी, कॉल सेन्टर, कॉर्पोरेट दफ्तरों में काम करने वाले लोगों की शट्र्स की कॉलर व्हाइट (उजली) रहती है, क्योंकि वातानुकूलित कक्षों में पसीना नहीं आता है। कम्प्यूटर और मोबाइल पर ही सारा काम करना होता है। एक ही तरह की मुद्रा में कुर्सी पर लगातार बैठकर। लेकिन गर्दन और कंधे सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों के खराब हैं, हो रहे हैं या हो चुके हैं। कॉलर मैली रहना आपके गर्दन और कंधों के लिए शानदार काम है। इसलिए कॉलर को मैली करने पर भी विचार करें।
वैसे तो स्मार्ट फोन और कम्प्यूटर से बचने का कोई रास्ता नहीं है फिर भी इसका प्रयोग सीमित कर कुछ बचाव हो सकता है। खुद ही तय करें कि नींद के अतिरिक्त वो कौनसा समय होगा जो हमारे लिए नो स्क्रीन आवर होना चाहिए।
Published on:
12 Mar 2019 02:23 pm
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