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पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के सांस्कृतिक छठा से गरीब नवाज का शहर सराबोर है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में लोक कलाकारों ने ऑक्टेव-2016 में मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। ब्रह्मपुत्र की लहरों पर असम के सतारिया नृत्य में कृष्ण लीला की धूम रही। ठेठ देशी वाद्य यंत्रों के साथ कलाकारों का तालमेल शानदार रहा।
असम के कलाकारों के पारंपरिक सतारिया नृत्य से कार्यक्रम का आगाज हुआ। गर्जना के साथ बहने वाली ब्रह्मपुत्र की लहरों पर लोक कला का अद्वितीय संगम नजर आया। श्रीकृष्ण और गोपियों की रासलीला की प्रस्तुति शानदार रही। पाश्र्व में गूंजते कृष्णा आए भवना...गीत पर कंस और कालिया वध, अर्जुन को गीता का उपदेश और अन्य प्रसंगों को नृत्यांजलि में खूबसूरती से पिरोया गया।
त्रिपुरा के होजागिरी नृत्य में सिर पर अग्नि लेकर कलाकारों ने कलात्मक प्रस्तुति दी। यहीं के ममिता नृत्य में वाद्य यंत्रों की सुमधुर स्वरलहरियों ने प्रभावित किया। मिजोरम का चेरो बैम्बू नृत्य में कलाकारों की पैरों की कुशलता नजर आई। मणिपुर का पुंग चोलम और चिनॉट नृत्य भी शानदार रहा।
सुदूर सिक्किम के कलाकारों ने सिंघीचेम नृत्य किया तो दर्शकों ने तालियां बजाकर हौसला अफजाई की। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरखान खान ने स्वागत किया।
भदेल ने किया शुभारंभ
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल ने दीप प्रज्वलित कर ऑक्टेव का शुभारंभ किया। पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती विशिष्ट अतिथि थे। अध्यक्षता कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने की। इस दौरान संभागीय आयुक्त हनुमान सहाय मीणा और अन्य मौजूद रहे।
Published on:
23 Sept 2016 08:26 am
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