
ajmer discom
भूपेन्द्र सिंह
अजमेर. अजमेर विद्युत वितरण निगम ajmer discom के अभियंताओं की लापरवाही विद्युततंत्र पर भारी पड़ रही है। लापरवाही का आलम यह कि पावर हाउसों पर लगाए गए पावर ट्रांसफार्मर जहां गर्मी में हांफ रहे हैं वहीं उन्हें ठंडा cooling रखने के लिए उनमें तेल Oil की कमी भी सामने आई है। पावर ट्रांसफार्मर में तय लिमिट में ऑयल डाला ही नहीं गया या फिर लीकेज के कारण ट्रांसफार्मर ऑयल का रिसाव हो गया। निगम के तहत आने वाले अधिकतर जिलों में इसको लेकर इस मामले में लापरवाही बरती जा रही है। इनमें निगम मुख्यालय पर अजमेर सिटी सर्किल भी शामिल है। केवल अजमेर जिला सर्किल में ही पावर ट्रांसफार्मर की सुध ली गई है। निगम की एफआईएस fis wing विंग ने अजमेर जिला सर्किल में ही 11 पावर ट्रांसफार्मर power transformers में ऑयल का स्तर निर्धारित से कम पाया है। अधीक्षण अभियंता जिला सर्किल को पत्र लिखकर इनमें ऑयल निर्धारित सीमा तक करने को कहा गया है।
यहां पावर ट्रांसफार्मरों में कम मिला तेल
अजमेर जिला सर्किल के किशनगढ़ सब डिवीजन के पुरूषोत्तम नगर में दो तथा पुराना पावर हाउस के एक पावर ट्रांसफार्मर में तेल की कमी पाई गई है। इसी तरह सावर के कादेड़ा व मेहरूकला पावर हाउस पर, बिजयनगर के जालिया, सरवाड़ के बीडला में पावर ट्रांसफार्मर ,रूपनगढ़ के करकेड़ी व रूपनगढ़ पावर हाउस,केकड़ी के केकड़ी सिटी पावर हाउस पर दो पावर ट्रांसफार्मर में ऑयल का स्तर निर्धारित से कम पाया गया। अजमेर डूमाड़ा में पावर ट्रांसफार्मर अभियंताओं की लापरवाही के कारण फेल हो गया।
पावर फेल तो बिजली बंद
पावर ट्रांसफार्मर जीएसएस (33/11 पावर हाउस) पर लगाए जाते हैं। ये 33 केवी लाइन को 11 केवी में कनर्वट करते हैं जिससे डिस्ट्रीब्यूशन ट्रासंफार्मर को सप्लाई मिलती और इसके बाद उपभोक्ताओं के घरों तक बिजली पहुंचती है। पावर ट्रांसफार्मर फेल होने पर कई गावों व कस्बों की बिजली कई घंटों से लेकर कई दिनों तक बंद रह सकती है। पावर ट्रांसफार्मर फेल होने पर निगम को 30-40 लाख का नुकसान होता है।इसके लिए सहायक व अधिशाषी अभियंता को चार्जशीट जारी होती है। पावर ट्रांसफार्मर की मेंटीनेंस के लिए अलग से विंग बनाई गई है। जो इसकी देखरेख करती है। कारण पूछा तो आधी हो गई मांग
पिछले सालों में निगम के सबडिवीजन के अभियंता पावर ट्रांसफार्मर में तेल की कमी के नाम पर कई ड्रम तेल मंगवा रहे थे, लगातार बढ़ती मांग के बाद निगम प्रबन्धन ने अभियंताओं ने ट्रांसफार्मर की निर्माता कम्पनी मेक, क्षमता तथा ट्रांसफार्मर के स्थापित किए गए पावर हाउस का नाम व तेल की कमी का कारण लिखित में मांगना शुरु कर दिया। इसके बाद से एक साल में ही निगम में ट्रांसफार्मर ऑयल की मांग घटकर आधी रह गई।
ऑयल की कमी, कम्पनियों को दी छूट
हाल ही निगम के 42 पावर ट्रांसफार्मर फुंकने तथा मांग अधिक होने के कारण निगम में ट्रांसफार्मर ऑयल की कमी हो गई। लॉकडाउन के कारण इसकी सप्लाई भी प्रभावित है। इसके बाद निगम ने ट्रांसफार्मर कम्पनियों को ही जुलाई तक ट्रांसफार्मर में ऑयल डालने की अनुमति दी है।
मिलीभगत से इनकार नहीं
200 लीटर का ट्रांसफार्मर ऑयल का एक ड्रम करीब 15 हजार रूपए में आता है। पावर ट्रांसफार्मर में 8-10 ड्रम तेल डाला जाता है जिससे पावर ट्रांसफार्मर ठंडा रहे। कई बार सप्लायर कम्पनी ही स्टोर में मिलीभगत कर कम तेल डालकर ट्रांसफार्मर की सप्लाई कर देती ट्रांसफार्मर में तेल के बजाय पानी मिलने की घटनाए भी सामने आ चुकी है। ट्रांसफार्मर में तेल की कमी बता तक अभियंता अतिरिक्त तेल की मांग करते है। इस अतिरिक्त तेल को ट्रांसफार्मर निर्माता व रिपेयर करने वाली कम्पनियों को बेच दिया जाता, इसका अन्य उद्योगों में भी इस्तेमाल होता है। बाद में इसे कागजों में लीकेज दर्शाकर पुन: ट्रांसफार्मर ऑयल का ड्रम मांग लिया जाता है।
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Published on:
01 Jun 2021 07:01 pm
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