
मनीष कुमार सिंह
अजमेर. वन विभाग को वन्य जीवों की सालाना गणना में पांच साल में पैंथर नहीं दिखा है। यह हाल तब हैं, जबकि ब्यावर-जवाजा और अन्य इलाकों में पैंथर की कई बार मौजूदगी सामने आई है। अलबत्ता विभाग को गणना में सियार, बिज्जू, साही, नेवला और अन्य वन्य जीव ही नजर आए हैं।
अजमेर वन मंडल के किशनगढ़ में गुंदोलाव झील, ब्यावर में सेलीबेरी, माना घाटी, पुष्कर में गौमुख पहाड़, बैजनाथ मंदिर, नसीराबाद में सिंगावल माताजी का स्थान, सरवाड़ में अरवड़, अरनिया-जालिया के बीच, नारायणसिंह का कुआं, सावर-कोटा मार्ग और अन्य वाटर हॉल पर वन्य जीवों की गणना कराई जाती है। प्रतिवर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा को गणना होती है। कर्मचारियों की जलाशयों पर पेड़ों पर मचान बनाकर ड्यूटी लगाई जाती है।
विभाग को नहीं दिखे पैंथर
अजमेर मंडल के पुष्कर, ब्यावर और जवाजा क्षेत्र पर विभाग की विशेष नजरें रहती हैं। पहाड़ी इलाका और पेड़-पौधों के कारण इन इलाकों में अक्सर पैंथर, सियार, लोमड़ी, अजगर और अन्य वन्य जीव दिखाई देते रहे हैं। इन इलाकों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पैंथर कई बार दिख चुके हैं। इसके बावजूद विभाग को पिछली ५ साल की गणना में पैंथर नहीं दिख पाया है। अजमेर से सटे कल्याणीपुरा गांव, तारागढ़ के पहाड़ी इलाकों में भी साल २०१६-१७ में दो बार पैंथर देखे जा चुके हैं।
जिले से घट रहे हैं सियार
अजमेर मंडल में सियार तेजी से घट रहे हैं। १०-१५ साल पहले तक मंडल में २५० से ज्यादा सियार थे। अब इनकी संख्या सिमटकर २५ से ४५ तक रह गई है। पिछली वन्य जीव गणना में भी इतने ही सियार मिले थे। इसके अलावा विभागीय आंकड़ों में करीब १ हजार से ज्यादा खरगोश, १५० साही, अजगर, करीब सौ सियार-लोमड़ी, ५० से ज्यादा बिज्जू और अन्य वन्य जीव मिले हैं।
गोडावण हुए नदारद
जिले के शोकलिया वन्य क्षेत्र से गोडावण नदारद हो चुके हैं। पिछले कई साल से वन विभाग को यहां गोडावण नहीं मिले हैं। २००१ की गणना में यहां ३३ गोडावण थे। २००२ में ५२, २००४ में ३२ गोडावण मिले। इसके बाद यह सिलसिला घटता चला गया। २०१५ से २०१८ तक की गणना में एक भी गोडावण नहीं दिखा है। वन्य जीव अधिनियम १९७२ की धारा ३७ के तहत शोकालिया वन क्षेत्र शिकार निषिद्ध क्षेत्र घोषित है।
Published on:
11 Apr 2019 02:26 am
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