
rajasthan patrika survey
कांग्रेस और भाजपा के लिए चेतावनी है सर्वे, जनप्रतिनिधियों को जुडऩा होगा जनता से
अजमेर
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सरकार और जन प्रतिनिधियों को लेकर राजस्थान पत्रिका का सर्वेक्षण भाजपा की सरकारों और विपक्ष में बैठी कांग्रेस के लिए चुनौती से कम नहीं हैं। जिस तरह जनता ने अपनी रायशुमारी दी है, उसको देखते हुए सत्तारूढ़ भाजपा सरकारों के लिए तो चुनावी वर्ष अहम है। वहीं मजबूत विपक्ष की भूमिका से दूर बैठी कांग्रेस की राह भी आसान नहीं दिखती है। भाजपा को अपनी सरकारों को बचाए रखना, मौजूदा विधायकों एवं नए चेहरों के सहारे जनता का सामना करना है। वहीं कांग्रेस के लिए भी दोबारा सत्ता में लौटना सहज नहीं है। पत्रिका में प्रकाशित सर्वेक्षण के बाद रविवार को दोनों पार्टी के पदाधिकारियों और शहरवासियों से बातचीत की गई। इसमें सबने खुलकर विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय परिदश्य को देखें तो भाजपा की कार्यशैली प्रभावशाली कही जा सकती है। लेकिन विशेष रूप से राजस्थान की बात करें तो यहां लगातार सरकारें बदलने का ट्रेंड रहा है। इस बार भी जहां भाजपा के लिए सरकार बचाना चुनौती है। वहीं कांग्रेस भी मजबूत विपक्ष की भूमिका में कभी नजर नहीं आई है। एक दल को खुद को बचाना और दूसरे को वापसी चाहिए। नेता सरकार में हो या विपक्ष में, उनह्ें कामकाज का आकलन करने और जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के बाद ही सफलता मिल सकती है।
उमेश चौरसिया, रंगकर्मी और साहित्यकार
जनता के प्रतिनिधियों को जन अपेक्षाओं पर खरा उतरना तो पहली प्राथमिकता है। चार साल पहले राजस्थान में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। इनके जन प्रतिनिधि जनता से ही दूर रहे। इसका असर लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में दिख चुका है। राज्य में बेरोजगारी, चरमराती चिकित्सा व्यवस्था, बदहाल अर्थव्यवस्था से जनता त्रस्त है। कांग्रेस विधायकों के कम संख्या बल के बावजूद विपक्ष की भूमिका निभा रही है। जनता कामकाज का आकलन करती है। पत्रिका का सर्वेक्षण विधायकों और सरकार के साथ सभी जन प्रतिनिधियों के लिए आईना है। अब खोखले दावों, वायदों से चुनाव नहीं जीते जा सकते हैं।
बिपिन बैसिल, कांग्रेस नेता
भाजपा हो या कांग्रेस दोनों को अपने-अपने कामकाज का आकलन करना चाहिए।पहले ढेरों नई योजनाओं के बावजूद कांग्रेस सत्ता से दूर हो गई। भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला तो चार साल में स्थिति सबके सामने है। 125 विधायक दोबारा जीतने की स्थिति में नहीं होना उनके कामकाज में कहीं ना कहीं कमी का परिचायक है। सत्तारूढ़ दल के सामने मजबूत विपक्ष बहुत जरूरी है। राजस्थान हो या मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ कांग्रेस इस भूमिका में प्रभावी नहीं दिखी है। भाजपा को हालिया उप चुनावों ने आईना दिखाया है। यह देखते हुए विधायकों को जनता से दूरी के बजाय जन समस्याओं के समाधन में जुटना चाहिए।
डॉ. अनन्त भटनागर, शिक्षाविद
आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक या महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर सरकार कहीं दिखती नहीं है। जीएसटी, नोटबंदी, बैंकिंग घोटाले भाजपा की विफलता के परिचायक हैं। गोरखपुर, फूलपुर हों या अजमेर , अलवर भाजपा को जनता ने आईना दिखाया है। चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि जनता से जब दूरी बनाते हैं, यह उसका परिणाम है। राजस्थान पत्रिका का सर्वेक्षण वास्तव में आंखें खोलने वाला है। भाजपा के लिए तो यह बहुत कुछ कहता है। कांग्रेस जल्द जनता के बीच पहुंचकर उन्हें सरकारों के खोखले वायदों और जनप्रतिनिधियों की विफलता के बारे में बताएगी।
सबा खान, शहर महिला कांग्रेस अध्यक्ष
जनता बड़ी अपेक्षाओं से विधायक चुनती है। विधायक अपने क्षेत्र का विकास करें, समस्याओं का समाधान करें यह अनिवार्य है। भाजपा के चार साल के शासन में यह दिखाई नहीं देता है। जिस पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला वह कोई छाप नहीं छोड़ पाए यह विफलता का परिचायक है। कांग्रेस राज की नीतियों को तोडऩा-मोरडऩा ही भाजपा का लक्ष्य है। इनके बजाय सरकार को जनता से किए गए वायदों को पूरा करने में सक्रियता दिखानी चाहिए थी। पत्रिका का सर्वेक्षण सटीक और जनभावना के अनुरूप है।
विजय जैन, शहर कांग्रेस अध्यक्ष
भाजपा ने कभी जनता से दूरीं नहीं बनाई। चार साल में केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों ने जनता के बीच जाकर उनकी अपेक्षानुसार बजट बनाए। विधायकों ने भी विकास कार्यों में कमी नहीं रखी। मुख्यमंत्री ने विधायकों-मंत्रियों को दस दिन जनता के बीच जाने को कहा है। कहीं कोई कमी है, तो सरकार और जन प्रतिनिधि तत्काल उसको दूर करने के लिए तत्पर हैं। जन भावना को सर्वोपरी रखते हुए भाजपा अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है। सर्वेक्षण के आधार पर खुद को तैयार कर सरकार फिर मजबूती से जनता के सामने जाएगी।
अरविंद यादव, शहर भाजपाध्यक्ष
Published on:
01 Apr 2018 09:51 pm
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