
फुटपाथ, सडक़ों व दुकानों के बरामदों में रात गुजारने के पीछे प्रमुख वजह यह है कि कइयों के पास किसी तरह का पहचान पत्र, आधार कार्ड या अन्य कोई दस्तावेज नहीं होता है। नगर निगम, अस्पताल प्रशासन व अन्य की ओर से संचालित रैनबसेरों में रात्रि में ठहराव व विश्राम के लिए पहचान पत्र या कोई दस्तावेज होना आवश्यक होता है। मगर बिना पहचान के शहर में रहने वाले लोग कड़ाके की ठंड व शीतलहर के बावजूद सडक़ों के आसपास व फुटपाथ पर कंबल ओढकऱ रातें गुजारते हैं।
अजमेर. ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी में सुरक्षा व्यवस्था यूं तो माकूल हैं, शहर के कई क्षेत्रों में सीसी टीवी कैमरों के माध्यम से पैनी नजर रखी जा रही है। मगर इसके बावजूद रात्रि में कई जगह कंबल में ‘पहचान’ छिप कर रह जाती है। शीतलहर एवं तेज सर्दी के बावजूद कई ऐसे लोग एवं युवक हैं जो फुटपाथ, गुमटी, सर्किल के पास कंबल ओढकऱ रात गुजारते हैं।
शहर में रात्रि के समय गरीब एवं असहाय व्यक्ति समझ कर सुरक्षा गार्डों, पुलिस गश्त की ओर से जांच पड़ताल नहीं की जाती है। यही समझा जाता है कि मजबूरी में ये लोग यहां सो कर रात काटते हैं। मगर इसके उलट सुरक्षा के लिहाज से एक-दो रात्रि में पड़ताल की जाए तो आगामी दिनों में इन लोगों की संख्या कम भी हो सकती है। इनमें कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जिनका भरा पूरा परिवार हो और वे किन्हीं कारणों से अजमेर में शरण लिए हुए हैं।
यह है वजह
फुटपाथ, सडक़ों व दुकानों के बरामदों में रात गुजारने के पीछे प्रमुख वजह यह है कि कइयों के पास किसी तरह का पहचान पत्र, आधार कार्ड या अन्य कोई दस्तावेज नहीं होता है। नगर निगम, अस्पताल प्रशासन व अन्य की ओर से संचालित रैनबसेरों में रात्रि में ठहराव व विश्राम के लिए पहचान पत्र या कोई दस्तावेज होना आवश्यक होता है। मगर बिना पहचान के शहर में रहने वाले लोग कड़ाके की ठंड व शीतलहर के बावजूद सडक़ों के आसपास व फुटपाथ पर कंबल ओढकऱ रातें गुजारते हैं।
नशे की लत में भी घरों से दूरी
फुटपाथ व सडक़ों पर रात गुजारने वालों में 20 से 40 साल तक के युवक व प्रौढ़ तो नशे की लत वाले भी शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। गरीबी या अन्य पारिवारिक कारणों से भी ऐसे लोग रात्रि में घर नहीं पहुंचते हैं।
शहर में यहां हैं रैन बसेरों का संचालन
-पड़ाव स्थित नगर निगम का रैन बसेरा।
-रेडक्रॉस भवन के पास।
-जेएलएन अस्पताल में ओपीडी परिसर के पास।
-जेएलएन अस्पताल में शिशु औषध विभाग के पास।
Published on:
28 Dec 2018 02:10 pm
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