
अजमेर की पहाडिय़ों पर कब्जे, प्रशासन रोकने में नाकाम
हिमांशु धवल
अजमेर. खूबसूरत पर्वतमाला के लिए जानी-पहचानी जाने वाली अरावली पर्वत श्रृंंखला पर खतरा मंडरा रहा है। लोग पहाड़ों को काट अवैध कब्जे कर खुद के आशियाने बनाने में जुटे हुए हैं। अतिक्रमियों के लिए भी पहाड़ी इलाका सुरक्षित बना हुआ है। जहां हर किसी की आमद नहीं होती, और प्लानिंग के साथ कब्जे करने का काम चलता रहता है।
शहर की पहाडिय़ों को लीलते जाने की कवायद काफी अर्से से चल रहा है। मिलीभगत के इस खेल में पहले जेसीबी से पहाडिय़ों के छोटे-छोटे हिस्सों में खुदाई कर खोखला करने के बाद कुछ दिन के लिए छोड़ दिया जाता है। जब प्रशासनिक स्तर पर कोई हलचल नहीं होती नजर आती तो दूसरे चरण में छुट्टी वाले दिनों में निर्माण कार्य प्रारंभ होता है। पहले यह निर्माण चोरी-छिपे हुआ करते थे, लेकिन अब तो प्रशासनिक लापरवाही, काहिली और नाकारापन से भली-भांति परिचित अतिक्रमी दिन-दहाड़े निर्माण करने में जुटे रहते हैं। हालांकि इसके लिए दिन सरकारी दफ्तरों और कोर्ट-कचहरी के छुट्टी वाले दिनों का शिड्यूल निर्धारित होता है। उधर, पहाडिय़ों पर हो रहे अवैध निर्माण को रोकने और अपने कब्जे की सरकारी जमीन को महफूज रखने के लिए जिम्मेदार वन विभाग, अजमेर विकास प्राधिकरण, खनिज विभाग और नगर निगम में आपस में तालमेल नहीं होना भी अतिक्रमियों के लिए मुफीद होता है। ‘राजस्थान पत्रिका’ की टीम ने शनिवार को शहर के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर जाने अवैध निर्माणों के जमीनी हालात।
यहां पर हो रहे अवैध निर्माण
अजमेर की नागफणी, तारागढ़ सम्पर्क सडक़, लोहाखान, पाबूूगढ़ की पहाड़ी, रामप्रसाद घाट के सामने, अजयनगर से तारागढ़ जाने वाली पहाड़ी, धोलाभाटा की पहाड़ी, जयपुर रोड स्थित पहाडिय़ों पर धड़ल्ले से कब्जे हो रहे हैं। दरगाह-तारागढ़-आमबाव के इलाके में पहाडिय़ां अतिक्रमियों के लिए बेशकीमती हैं। यहां लोग पहाड़ों को काटकर अवैध कब्जों में जुटे हैं। कई इलाके घनी बस्तियों में तब्दील हो चुके हैं। वन विभाग, अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम की टीम का पहुंचना भी दुश्वार है।
कमरे-दुकान-बाड़ों का निर्माण
यहां पचासों कच्चे-पक्के मकान, कमरे और दुकानेंं बना ली गई हैं। और कुछ नहीं, तो बबूल की बाड़ लगाकर तारबंदी ही कर ली गई। टीन-टप्पर डाल दिए गए और मवेशी बांधने के ठौर-ठिकाने बना लिए। इंतहा तो यह कि सरकारी विभागों से सांठ-गांठ कर ऐसी जगहों पर बिजली-पानी के कनेक्शन तक ले लिए गए। जिसको जहां जमीन पसंद आई वही पहाड़ खोदकर कमरा-मकान बनाने में जुट गया। साल 2011-12 में राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर में अरावली पर्वत से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। तत्कालीन संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा के कार्यकाल में कच्ची बस्तियों में नोटिस भी जारी हुए। लेकिन सियासत की तलवार ने सरकारी नोटिसों को काट डाला।
केस-1
अजयनगर से सतगुरू कॉलोनी के ऊपर के पहाड़ी क्षेत्र में पोकलेन मशीन लगाकर पहाड़ी की खुदाई की जा रही है। खुदाई का काम शुक्रवार शाम से शुरू हुआ है। पहाड़ी के बहुत बड़े हिस्से को काटकर समतल किया जा रहा है। जिससे वहां पर निर्माण किया जा सके।
केस-2
रामप्रसाद घाट के सामने की पहाड़ी पर पिछले कई दिनों से मकान का निर्माण जारी है। इस सडक़ से प्रतिदिन कई अधिकारी-जनप्रतिधि-विधायक तक गुजरते हैं। लेकिन जिम्मेदार इस ओर से आंखे मूंदकर तो नहीं, हां फेरकर जरूर निकल जाते हैं। निर्माणाधीन भवन अब तो फ्लोरिंग और प्लास्टर की स्टेज पर है।
केस-3
नागफणी तारागढ़ सम्पर्क सडक़ के पास 3-4 जगह निर्माण जारी है। पहाड़ी से नीचे की ओर निर्माण होने के कारण रोड से दिखाई नहीं देता है। निर्माण स्थल पर कुछ युवक हमेशा बैठे रहकर आने-जाने वालों पर नजर रखते हैं। सम्पर्क सडक़ पर चार-पांच जगह बजरी और ईंट के ढेर लगे हुए हैं।
केस-4
जयपुर रोड स्थित नौसर घाटी से न्यायिक आवास तक अधिकांश सरकारी कार्यालय हैं। इन्हीं के पीछे पहाड़ी क्षेत्र में प्रतिदिन औसतन एक अवैध निर्माण प्रारंभ होता है। न्यायिक आवास के पास से जाने वाले रास्ते पर एक पक्का निर्माण जारी है। साथ ही आसपास में कई जगह पहाडिय़ों को काट रखा है, जिससे वहां पर भी समय अनुकूल देखकर निर्माण किया जा सके।
पहाड़ों पर कब्जे के ये हथियार
-पहाड़ों के पत्थरों को आग लगाकर करते हैं कमजोर
-पसंदीदा जगह पहाड़ काटकर तत्काल कमरा निर्माण
-जमीन पर तारबंदी अथवा पत्थरगढ़ी
-तुरन्त लेते हैं बिजली और पानी के कनेक्शन
-रात्रि में मजदूरों अथवा जेसीबी से खुदाई
इनका कहना है
वन विभाग की जमीन पर कहां-कहां कब्जे और अतिक्रमण हैं, इसकी रिपोर्ट विभाग ने बनाई थी। यहां तारबंदी कराना प्रस्तावित है। पहाड़ों पर कब्जों को लेकर विभाग नियमित कार्रवाई करता रहा है। कई इलाकों से जमीन मुक्त कराई गई है।
सुदीप कौर
पूर्व उप वन संरक्षक अजमेर मंडल
Published on:
09 Aug 2020 05:01 pm
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