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Post Vacant: बढ़ेगी जुलाई में मुसीबत, 900 स्टूडेंट्स को पढ़ाएंगे 16 शिक्षक

राज्य के विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों की कमी बरकरार।

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teachers post vacant

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को अगले सत्र में 16 शिक्षकों से कामकाज चलाना पड़ेगा। नई भर्तियां नहीं होने से यहां शिक्षकों की कमी जारी है। उधर राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्तियां नहीं होने से शोध और शिक्षण पर असर पड़ रहा है। विद्यार्थियों-शिक्षकों के अनुपात में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थिति अच्छी है।

मदस विश्वविद्यालय में मौजूदा वक्त 18 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें सत्र 2020-21 में वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो. बी. पी. सारस्वत और जनसलंख्या अध्ययन विभागाध्य प्रो. लक्ष्मी ठाकुर सेवानिवृत्त होंगी। इनके बाद विश्वविद्यालय में 16 शिक्षक रह जाएंगे। वाणिज्य और जनसंख्या अध्ययन विभाग भी बिना शिक्षकों वाले इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग पत्रकारिता, शिक्षा, हिंदी विभाग की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे।

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दूसरे विश्वविद्यालयों में भी हाल खराब
राज्य के विश्वविद्यालयों में 2000-01 तक विभागवार शिक्षकों की संख्या ठीक थी। बीते 19 साल में विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों का अनुपात बढ़ा लेकिन शिक्षकों की संख्या कम होती चली गई। इनमें प्रोफेसर, रीडर और लेक्चरर शामिल हैं। उधर पुराने और नए खुले केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थिति ठीक है। इनमें राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों की तुलना में विशिष्ट कोर्स संचालित हैं।

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षक
कार्यरत प्रोफेसर- 2100, रिक्त पद-1100
कार्यरत रीडर- 4255, रिक्त पद-2024
कार्यरत लेक्चरर-9100, रिक्त पद-2100

राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षक
कार्यरत प्रोफेसर- 3800 रिक्त पद-1440
कार्यरत रीडर- 6850, रिक्त पद-4000
कार्यरत लेक्चरर-8766 रिक्त पद-7145

विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में पिछड़े
संकाय-विभागवार विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में राज्य के विश्वविद्यालय बहुत पीछे हैं। इन विश्वविद्यालयों में प्रति 60 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक कार्यरत है। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रति 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है। राज्य के विश्वविद्यालयों में पिछले कुछ वर्षों में हुई अनियमितताओं के चलते कई नियुक्तियां अदालती पेचीदगियों में फंसी हैं।


कोरोना ने बदला दफ्तरों के कामकाज का तरीका

अजमेर. कोरोना लॉकडाउन ने सरकारी दफ्तरों के कामकाज का तरीका बदल दिया है। अब तक ऑनलाइन कामकाज से दूर रहने वाले अधिकारी-कर्मचारी, छात्र-छात्राएं और शिक्षक इनका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। धीरे-धीरे सबकी तकनीकी दक्षता भी बढ़ रही है।

लॉकडाउन के चलते राज्य के निजी-सरकारी दफ्तरों, दुकानेें-मॉल, उद्योगों, निगमों-बोर्ड, स्कूल, कॉलेज-यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थान बंद हैं। जिन दफ्तरों में रोजाना हजारों लोग कामकाज के लिए जाते थे, वहां कामकाज ठप है। शिक्षण संस्थानों में भी कक्षाएं-परीक्षाएं स्थगित हैं। इसके विपरीत बीते दो सप्ताह में सभी क्षेत्रों में कामकाज के तौर-तरीके में नया बदलाव देखने को मिल रहा है।