
hairs of prophet muhammad in ajmer dargah
रक्तिम तिवारी/अजमेर।
पैगम्बर हजरत मोहम्मद का अजमेर से भी खास नाता है। यहां उनकी ऐसी चीज मौजूद है, जिसको देखने के लिए दुनिया भर से लोग उमड़ते हैं। पैगम्बर मोहम्मद का जन्मोत्सव बारावफात 2 दिसम्बर को मनाया जाएगा। इस दौरान हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में कई कार्यक्रम होंगे।
खादिम एस. एफ. हसन चिश्ती ने बताया कि 28 नवम्बर को दरगाह के आहता-ए-नूर में नातिया मुशायरा होगा। चांद की नौ से ग्यारह तारीख तक कई कार्यक्रम चलेंगे। चांद की बारह तारीख 2 दिसम्बर को दरगाह में मिलाद शरीफ होगी। इससे पहले 26 नवम्बर को ख्वाजा गरीब नवाज की महाना छठी मनाई जाएगी। इस अवसर पर पूरी दरगाह को विशेष रोशनी से सजाया जाएगा।
बड़े पीर की पहाड़ी से तोपों की सलामी दी जाएगी। दरगाह के शाहजहांनी गेट पर शादियाने बजाए जाएंगे। पैगम्बर मोहम्मद के मू-ए-मुबारक की विभिन्न हुजरों में जियारत कराई जाएगी। बारावफात पर मुस्लिम धर्मावलंबी नए कपड़े पहनेंगे। घरों में सजावट और विशेष पकवान बनाए जाएंगे।
यह है मू-ए-मुबारक
पैगम्बर मोहम्मद के मू-ए-मुबारक यानि दाढ़ी के बाल अजमेर में सहेज कर रखे गए हैं। यह ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में कई खादिमों के पास हैं। खादिम प्रतिवर्ष बारावफात पर मू-ए मुबारक की जियारत कराते हैं। मुस्लिम सहित अन्य धर्मों के लोग इनकी जियारत कर खुद को धन्य समझते हैं। दरगाह के अलावा कलक्ट्रेट स्थित मस्जिद में भी मू-ए मुबारक की जियारत कराई जाती है। इसे मुस्लिम काफी पवित्र मानते हैं।
दरगाह में होते हैं खास कार्यक्रम
पैगम्बर मोहम्मद के जन्मदिन पर दरगाह में प्रतिवर्ष खास कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दरगाह को रंगबिरंगी रोशनी से सजाने के अलावा कई पारम्परिक रसूमात अदा किए जाते हैं। मान्यता के अनुसार मुस्लिम धर्मावलंबी हजरत इमाम की शहादत यानि मोहर्रम और उसके बाद चालीस दिन तक शोक में रहते हैं। बारावफात पर्व से मुस्लिम घरों में निकाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। अन्य धर्मालंबी भी मुस्लिम घरों में शुभकामनाएं और बधाई देेन जाते हैं। अजमेर में यह सिलसिला करीब 800 साल जारी है।
Published on:
23 Nov 2017 09:46 am
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