अजमेर

लोगों का दर्द…ब्यावर तिलपट्टी की पहचान सिमटी, मसूदा के उद्योगों को चाहिए संबल

Rajasthan Assembly Election 2023: नसीराबाद से मैं मसूदा विधानसभा क्षेत्र की ओर आगे बढ़ा। बांदनवाड़ा के पास एक होटल पर मिले एक व्यवसायी निर्मल जैन ने दर्द बयां किया कि खनिज उत्पादन में राजस्थान अव्वल है, परन्तु सरकारी नीतियों और कुप्रबंधन के कारण हमारा कच्चा माल गुजरात के मोरबी जा रहा है।

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Jul 25, 2023

रमेश शर्मा/अजमेर
Rajasthan Assembly Election 2023: नसीराबाद से मैं मसूदा विधानसभा क्षेत्र की ओर आगे बढ़ा। बांदनवाड़ा के पास एक होटल पर मिले एक व्यवसायी निर्मल जैन ने दर्द बयां किया कि खनिज उत्पादन में राजस्थान अव्वल है, परन्तु सरकारी नीतियों और कुप्रबंधन के कारण हमारा कच्चा माल गुजरात के मोरबी जा रहा है। यही माल हम ऊंचे दाम पर खरीदते हैं। उद्योगों के लिए पानी, बिजली और गैस प्राथमिक जरूरत है। सरकार से कोई सपोर्ट नहीं मिलता। विजयनगर में सेरेमिक हब बनाने का सपना दिखाया, लेकिन धरातल पर नहीं आया।

बांदनवाड़ा और विजयनगर दोनों मसूदा विधासभा क्षेत्र में आते हैं। किसी भी दिशा में निकल जाएं, सडक़ों की दुर्दशा का दर्द लोगों की जुबां पर आ जाता है। मसूदा के मुख्य बाजार में कपड़ों की दुकान पर बैठे बुजुर्ग विमलचंद नाहर ने कहा, आपने सडक़ों के हाल तो देख ही लिए होंगे। इतने गहरे गड्ढ़े हैं कि वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल है। राजेश व्यास ने कहा, बीमार हो जाएं तो चिकित्सालय में डॉक्टर नहीं हैं। जान बचाने के लिए अजमेर या ब्यावर जाना लोगों की मजबूरी है। आप ही बताइए, अगर सुविधाएं ही नहीं तो सरकार की कैसी राहत। यहां से मैंने ब्यावर के लिए भवानीखेड़ा, श्यामगढ़, खीमपुरा, पाखरियावास वाला रास्ता पकड़ा तो हिचकोले खाते ब्यावर पहुंचा।
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इस 23 किलोमीटर के मार्ग में कई जगह तो गड्ढ़ों में सडक़ ढूंढने की नौबत आई। ब्यावर किसी जमाने में देश की प्रमुख कपास मंडियों में शुमार था। यहां की बंद पड़ी महालक्ष्मी मिल को लेकर दिनेश शर्मा ने पीड़ा साझा की। बोले, इसे शुरू कराने के लिए लोगों ने बहुत संघर्ष किया है। मिल शुरू होने से रोजगार बढ़ेगा और जिले का विकास होगा। कार्तिक झंवर की भी वेदना थी कि ऊंची दरों पर यार्न खरीदकर कोई कैसे व्यापार चला सकता है। ब्यावर पावरलूम उद्योग का देश में नाम था। अब लागत अधिक और आय कम होने से हम पिछड़ गए। सरकारी सपोर्ट और बिजली में सब्सिडी की जरूरत है।
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भूपेश भंसाली को मलाल है कि तिलपट्टी ब्यावर की पहचान है, लेकिन इसे बीकानेरी भूजिया की तरह ख्याति नहीं मिली। लघु उद्योग संघ के अध्यक्ष आशीषपाल पदावत ने मिनरल एंड ग्रांइडिंग की दयनीय स्थिति पर चिंता जताई। बोले, पचास फीसदी उद्योग बंद हो गए, शेष में से भी आधे मृतप्राय हैं। लाखों लोगों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है। सेवानिवृत शिक्षक रूपाराम कहते हैं, यहां के अमृतकौर चिकित्सालय में हर दिन हजारों मरीज आते हैं। अस्पताल में उपचार करने के लिए स्टाफ भी तो हो। गृहणी सीमा प्रजापति की भी यही राय थी कि चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी प्राथमिकता से दूर की जानी चाहिए। छात्रा प्रियल सोनी का कहना है, ब्यावर के युवाओं के लिए मेडिकल, इंजीनियरिंग या कोई व्यावसायिक कॉलेज नहीं है तो उच्च शिक्षा का क्या अर्थ। जवाजा में मोबाइल दुकानदार कमल टांक सरकारी योजनाओं से खुश नजर आए। वहीं पास ही होटल संचालक बीरम सिंह ने बताया कि राहत शिविर में पंजीयन जरूर करवाया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। पास सब्जी विक्रेता सीता बाई बोली, विधवा पेंशन पांच सौ रुपए ही आ रही है। वह भी समय पर नहीं आती। उनके पास बैठी केली देवी ने कहा, बिजली के बिल माफ ही नहीं हुए, सिर्फ गेहूं मिलता है।

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