
बीजीय मसाला उत्पादन में राजस्थान का दबदबा
चन्द्र प्रकाश जोशी
अजमेर. देश में बीजीय मसाला उत्पादन में राजस्थान का कोई सानी नहीं है। राजस्थान की माटी एवं जलवायु की अनुकूलता के चलते मसाला उत्पादन में गुजरात एवं मध्यप्रदेश भी पीछे है। पश्चिमी राजस्थान एवं हाड़ौती क्षेत्र के मसालों की बाहरी देशों में भी डिमांड है। राजस्थान में करीब 10.80 लाख हैक्टेयर में मसालों का उत्पादन हो रहा है।
प्रदेश में भी मसालों में सर्वाधिक उत्पादन जीरे का हो रहा है। वहीं गुणवत्ता के मामले में धनिया भी अन्य राज्यों से बेहतर है। अजवाइन, कलौंजी की खेती ओर भी अब किसानों का रुझान बढ़ा है। राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र तबीजी अजमेर में भी मसाला फसलों के क्षेत्र में अनुसंधान किए जा रहे हैं।
यह है मसाला उत्पादन की स्थिति
राजस्थान
-10.80 लाख हैक्टेयर में मसालों की खेती
-12 लाख टन उत्पादन
गुजरात
-7 लाख हैक्टेयर में मसालों की खेती
-10 लाख टन उत्पादन
प्रदेश में मसाला फसलों का उत्पादन (प्रतिवर्ष)
जीरा : 7.70 लाख हैक्टेयर में बुवाई, 4.5 लाख टन उत्पादन।
सौफ : 35 हजार हैक्टेयर, 35 लाख टन उत्पादन।
धनिया : 1 लाख हैक्टेयर में बुवाई एवं 1.30 लाख टन उत्पादन।
अजवाइन: 20 हजार हैक्टेयर में बुवाई।
कलौंजी : 7 हजार हैक्टेयर
मैथी : 60 हजार हैक्टेयर, 70 हजार टन उत्पादन।
हाड़ौती के धनिया की डिमांड
देश-विदेश में हाड़ौती क्षेत्र के कोटा, रामगंज मंडी, भवानीमंडी, बांरा व हाडौती क्षेत्र में धनिए ी विशेष डिमांड है।
जीरा में बाड़मेर-जैसेलमेर भारी
मसाला फसल जीरा के उत्पादन में पश्चिमी राजस्थान सबसे आगे हैं। बाड़मेर, जैसलमेर के जीरे की गुणवत्ता आई पाई गई है। वहीं जोधपुर, सिरोही, जालौर, नागौर व अजमेर में भी उत्पादन हो रहा है।
यहां भी उत्पादन
सौंफ का सिरोही, जालौर, अजमेर, नागौर आदि जगह खेती हो रही है। कलौंजी व अजवाइन के मामले में चितौड़गढ़, प्रतापगढ़ आदि जिले शामिल हैं।
मसाला फसलों की 25 नई किस्में तैयार
राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र तबीजी अजमेर में मसालों की 25 नई किस्में तैयार की है, जो कई रोग रहित (रजिस्टेंट) है। इनमें अजमेर धनिया 1, 2, 3 किस्म, अजमेर सौंफ 1,2,3, अजमेर मैथी 1, 2, 3, 4 एवं 5 नम्बर किस्म तैयार की है।
मसालों में 45 प्रतिशत बीजीय मसाले हैं
देशभर में उत्पादन होने वाले मसालों में 45 प्रतिशत उत्पादन बीजीय मसालों का है। इनमें जीरा, धनिया, सौंफ, अजवाइन, कलौंजी आदि हैं। राजस्थान में कुछ जगह में मिर्च एवं हल्दी की भी पैदावार होती है। हालांकि मिर्च, काली मिर्च, इलायची, आदि दक्षिण भारत के राज्यों में पैदा हो रही है।
इनका कहना है
गुजरात, मध्यप्रदेश से भी अधिक मसालों का उत्पादन राजस्थान में हो रहा है। वर्ष 2020 में देशभर में मसालों के निर्यात में 5600 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा आई है, इनमें 4200 करोड़ रुपए अकेले जीरा की खरीद हुई है। सर्वाधिक जीरे का उत्पादन राजस्थान में हो रहा है। हमने मसालों की 25 नई किस्में तैयार की है। इससे किसानों के साथ युवा किसानों को लाभ मिलेगा।
डॉ. एस.एन.सक्सेना, निदेशक, रा.बी.म. अ. केन्द्र अजमेर
Published on:
04 Aug 2022 11:50 pm
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