नहीं है इस व्यवस्था पर ध्यान शहर में वाहनों की गति धीमी करने के लिए आर्टिफिशियल लाइन नहीं है। ज्यादातर क्षेत्रों में बोर्ड के माध्यम से एक्सीडेंट प्रोन एरिया की जानकारी अथवा ***** नहीं हैं। इससे लोगों को स्पीड ब्रेकर का पता ही नहीं चलता।
मनमाने स्पीड ब्रेकर डिजाइन तय मापदंड के अनुसार स्पीड ब्रेकर के डिजाइन में स्लोप बनते हैं। इससे वाहन चढ़ने के बाद उछलते नहीं हैं। स्पीड ब्रेकर पर पहुंचने के 50 गज पहले बोर्ड या फिर व्हाइट लाइन मार्ग के दोनों तरफ लगाने जरूरी हैं। इसके बावजूद शहर में तय मानक-डिजाइन अनुसार बना एक भी ब्रेकर नहीं है। स्पीड ब्रेकर पर असंतुलित होकर लोग रोजाना चोटिल होते हैं।
बिजली के पोल के बना दिए ब्रेकरवार्ड-39 खनिज नगर-आदर्शनगर क्षेत्र की पार्षद राधिका गुर्जर के घर के ठीक सामने बिजली के खंभे के दो स्पीड ब्रेकर बनाए हुए हैं। सीमेंट-कंक्रीट के 2 खंभे चौड़ी सड़क पर बिछाकर कंक्रीट से बीस फीट की दूरी में ही मनमर्जी से दो स्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं। जिनसे कम फ्लोर क्लियरेंस वाले वाहन आए दिन नीचे से टकरा कर क्षतिग्रस्त होते रहते हैं। क्षेत्र के युवा तेज गति से बाइक दौड़ाते हैं। जिनसे गंभीर हादसों का हर समय खतरा बना रहता है।
ये हैं स्पीड ब्रेकर के नियम – स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर हो – वृत्ताकार क्षेत्र यानी कर्वेचर रेडियस 17 मीटर हो – स्पीड ब्रेकर आने से 40 मीटर पहले चेतावनी बोर्ड
– हाईवे पर गोल व ऊंचाई का स्पीड ब्रेकर – थर्मोप्लास्टिक पेंट से पट्टियां – स्कूल और अस्पताल के पहले स्पीड ब्रेकर की कम ऊंचाई एक्सपर्ट व्यू 25 किमी प्रतिघंटा से चलने वाले ट्रैफिक में 2 तरह के स्पीड ब्रेकर होने चाहिएं। राउंडेड हंप टाइप स्पीड ब्रेकर सामान्य ट्रैफिक के लिए होते हैं। हंप टाइप स्पीड ब्रेकर भारी वाहन, ट्रक, बस के लिए होते हैं।
आवासीय कॉलोनी की सड़क से मुख्य सड़क पर गांव या हाईवे पर मिलने वाली सड़क हो वहां एक से अधिक स्पीडब्रेकर होते हैं उन्हें रंबल सिट्रप कहते हैं। नियम विरुद्ध बनाए जाने पर एमवी एक्ट के तहत 1 लाख रुपए का जुर्माना रोड ओनिंग एजेंसी ठेकेदार या सलाहकार पर लगाया जा सकता है।
वीरेन्द्र सिंह राठौड़, सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, अजमेर। एक्सपर्ट व्यू नियमित वाहनों के उपयोग से गड्ढों वाली व स्पीड ब्रेकर वाली सडक से गुजरने पर बैक पेन व ***** कॉलेप्स की बीमारी बढने लगती है। वरिष्ठजन या बुजुर्ग लोग जो ऑस्टियोपेरिस के रोगी होते हैं उनकी हडिडयां कमजोर होती हैं। बार- बार ऐसे रास्तों से गुजरने के दौरान हड्डियां क्षतिग्रस्त हो सकती है या स्लिप ***** या बैक पेन बढ़ जाता है। इनहें दवाओं से नियंत्रित करना पड़ता है। कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ जाती है।डॉ हेमेश्वर हर्षवर्धन, विभागाध्यक्ष, हड्डी रोग विभाग, जेएलएनएच अजमेर